रायपुर। राजधानी के बूढ़ा तालाब स्थित धरना स्थल पर रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मन की बात’ के विरोध में किसान संगठन थाली बजाएंगे. यह विरोध प्रदर्शन राष्ट्रीय संयुक्त किसान मोर्चा के आव्हान पर प्रदेश के अनेक स्थानों पर सुबह 11 बजे से 12 बजे तक किया जाएगा. किसान महासंघ के तेजराम विद्रोही, रूपन चन्द्राकर, डॉ संकेत ठाकुर ने आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री अपने मन की बात सुनाने की बजाए किसानों के मन बात जानने का प्रयास करें तो ज्यादा अच्छा होगा.

प्रधानमंत्री किसानों के मन की बात सुनने को आखिरकार कब तैयार होंगे ? सिर्फ अपनी ही सुना रहे हैं कि किसानों की सुनने के लिए आएंगे भी कि नहीं आएंगे ? कभी प्रधानमंत्री ने नोटबंदी के फेल हो जाने पर चौराहे पर बुलाने की बात की थी और अब जब देश का किसान सड़कों पर है, राजधानी दिल्ली के चारों तरफ दिल्ली घुसने को आतुर है तो प्रधानमंत्री किसानों से बात करने को तैयार क्यों नहीं है ? बार-बार अपने मन की बात टीवी मीडिया के माध्यम से रख रहे हैं. प्रधानमंत्री अच्छी तरह से जानते हैं कि किसान किसी के बहकावे में नहीं आए हैं, बल्कि केंद्र सरकार के कॉर्पोरेट हितैषी कानून के खिलाफ खड़े हैं. जिससे उनकी बर्बादी होना तय है. ध्यान रहे किसानों की सिर्फ एक ही मांग है कि 3 नये काले कानूनों की कोई आवश्यकता नहीं है, जो प्रधानमंत्री प्रचार करते फिर रहे हैं कि कानून किसानों के हित में है.

दरअसल ये तीनों कानून कारपोरेट के हित में हैं, कॉर्पोरेट की आजादी के लिए है, कारपेट्स की मनमानी के लिए हैं, कार पार्ट्स की मुनाफाखोरी के लिए ये तीनों कानून बनाए गए हैं. इसलिए देश के किसान सड़कों पर हैं. दिल्ली का घेराव करने के लिए अलग-अलग प्रांतों से किसान दिल्ली जा रहे हैं. छत्तीसगढ़ से किसानों का एक जत्था दिल्ली पहुंच चुका है अब दूसरा जत्था भी बहुत ही जल्दी दिल्ली जाएगा और विरोध प्रदर्शन में भाग लेगा.

छत्तीसगढ़ किसान मजदूर महासंघ ने काले किसान कानून के विरोध में पूरे प्रदेश भर में जागरूकता अभियान चला रखा है. उसी के तहत कल सिंघनपुर बसना में “मन की बात” के विरोध में एक दिवसीय किसान सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है. इसी तरह धमतरी, कुरूद, बिलासपुर, मैनपुर, रायगढ़, दुर्ग, राजनांदगांव सहित अनेक स्थानों में किसानों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है. आगामी दिनों में इन विरोध प्रदर्शनों का विस्तार दिया जाएगा.