सत्या राजपूत, रायपुर। छत्तीसगढ़ में आबकारी आरक्षक भर्ती परीक्षा 2025 को लेकर सामने आई तकनीकी गड़बड़ी पर रायपुर सांसद और वरिष्ठ भाजपा नेता बृजमोहन अग्रवाल ने गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने इस संबंध में छत्तीसगढ़ व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) की अध्यक्ष रेणु पिल्लई को पत्र लिखकर तत्काल संज्ञान लेने की मांग की है।

तकनीकी त्रुटियों ने बिगाड़ा युवाओं का भविष्य

बता दें कि यह मामला उस समय उभरा जब 4 जून से 27 जून के बीच आयोजित ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया में कई अभ्यर्थियों ने निर्धारित समय-सीमा में सफलतापूर्वक परीक्षा शुल्क का भुगतान तो कर दिया, लेकिन व्यापम की तकनीकी विफलता (सर्वर एरर) के कारण वे फॉर्म अंतिम रूप से सबमिट नहीं कर पाए। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि व्यापम कार्यालय इन अभ्यर्थियों की शिकायतों को नज़रअंदाज़ कर रहा है और अब तक न तो उन्हें समाधान मिला है और न ही कोई आधिकारिक जवाब।

सांसद को दी गई शिकायत, मिले आश्वासन

तकनीकी समस्याओं से परेशान अभ्यर्थियों ने सांसद बृजमोहन अग्रवाल से संपर्क कर अपनी आपबीती साझा की। जिस पर सांसद अग्रवाल ने इसे “सुशासन तिहार” और नागरिक-हितकारी शासन की मूल भावना के खिलाफ करार दिया।

उन्होंने व्यापम अध्यक्ष को पत्र में लिखा है कि, “जो अभ्यर्थी समय पर फीस जमा कर चुके हैं, उन्हें परीक्षा से वंचित करना पूरी तरह से अन्यायपूर्ण होगा।” उन्होंने सुझाव दिया है कि इन अभ्यर्थियों को एक या दो दिन का अतिरिक्त समय देकर फॉर्म को ऑफलाइन या ऑनलाइन भरने का अवसर प्रदान किया जाए।

सांसद अग्रवाल का स्पष्ट निर्देश: कोई भी पात्र अभ्यर्थी न हो वंचित

सांसद अग्रवाल ने व्यापम को सख्त शब्दों में यह भी निर्देशित किया है कि “एक भी पात्र अभ्यर्थी को परीक्षा से बाहर न किया जाए।” इसके साथ ही उन्होंने सात दिनों के भीतर इस पूरे मामले में पूर्ण विवरण सहित रिपोर्ट भेजने की मांग की है।

सांसद अग्रवाल ने दोहराया कि बेरोजगार युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने सरकार और प्रशासन को याद दिलाया कि यह सामूहिक जिम्मेदारी है कि योग्य युवाओं के साथ अन्याय न हो। उन्होंने उम्मीद जताई कि व्यापम इस विषय पर संवेदनशील, पारदर्शी और त्वरित कार्रवाई करेगा।

यह प्रकरण छत्तीसगढ़ में परीक्षाओं की पारदर्शिता और तकनीकी व्यवस्थाओं की गंभीरता पर एक बार फिर सवाल खड़े करता है। अब देखना यह होगा कि व्यापम इस शिकायत पर कितना गंभीरता से अमल करता है और पीड़ित युवाओं को कितना न्याय मिल पाता है।

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