Raipur News: प्रतीक चौहान. रायपुर. लल्लूराम डॉट कॉम की मुहिम का बड़ा असर हुआ है. लल्लूराम डॉट कॉम लगातार ये मुहिम चला रहा है कि स्वास्थ्य विभाग के स्टेट नोडल एजेंसी में पदस्थ स्टॉफ और टीपीए में पदस्थ डॉक्टर अपनों के अस्पताल पर मेहरबान है और दूसरे अस्पतालों के केस रिजेक्ट किए जा रहे है.
अब स्वास्थ्य विभाग के अफसर टीपीए को नोटिस जारी करने की तैयारी में है. जिसकी पुष्टि लल्लूराम डॉट कॉम से बातचीत में जीजे राव ने की है. उन्होंने कहा कि टीपीए में पदस्थ ऑडिटर्स डॉक्टरों की सूची और वे किस अस्पताल में काम कर रहे है इसकी जानकारी के लिए नोटिस जारी किया जाएगा. उन्होंने ये भी स्पष्ट किया कि स्टेट नोडल एजेंसी में पदस्थ तमाम स्टॉफ के परिवार के सदस्यों के अस्पतालों के क्लेम की भी पड़ताल की जाएगी.
श्री विग्नेश हॉस्पिटल में मौजूद है ऑडिटर्स टीम के एक डॉक्टर, 3 महीने में 44 लाख की ब्लकिंग, 0 केस रिजेक्ट और हॉस्पिटल का जनरल वार्ड पूरा खाली
टीपीए की ऑडिटर्स टीम में पदस्थ एक डॉक्टर राजधानी रायपुर के श्री विग्नेश हॉस्पिटल में पदस्थ है. पिछले तीन महीनों में यहां 44 लाख से अधिक की ब्लॉकिंग की गई है और इस अस्पताल के एक भी केस रिजेक्ट न टीपीए ने किए है और न स्टेट नोडल एजेंसी ने. जबकि अस्पताल का पुरूष जनरल वार्ड लल्लूराम की पड़ताल में पूरा खाली मिला और महिला जनरल वार्ड में एक मरीज भर्ती मिली.
दरअसल लल्लूराम डॉट कॉम को सूत्रों से पता चला था कि अस्पताल में दिनांक 22 जुलाई को झाड़ी राम ध्रुव, गणेश राम खुसरो, मोती बाई खुसरो, देवकी साहू, काजल, कुंजीलाल दिवान, रामभा बाई देवदास और चैनसिंह यादव भर्ती है.
जिसके बाद हम शाम 5.30 बजे वहां पहुंचे तो जनरल वार्ड में 1 पेशेंट और आईसीयू में 2 पेशेंट भर्ती मिले. इसके बाद टीम ने अस्पताल के डायरेक्टर डॉ विकास साहू से निवेदन किया कि लल्लूराम को मिली इस जानकारी को लेकर अपना पक्ष रखे.
डॉ विकास कुमार साहू ने टीम का पूरा सपोर्ट करते हुए ये दावा किया कि उनके अस्पताल में उक्त सभी पेशेंट में से वर्तमान में देवकी, रामभा बाई और चैनसिंह भर्ती है. बाकी को उन्होंने डिस्चार्ज अंगूठा लगवाकर पहले ही कर दिया है, लेकिन उनकी डिस्चार्ज फाइल अभी अपलोड नहीं हुई है और इसे अपलोड करने के लिए 7 दिन के नियम होने की जानकारी उन्होंने टीम को दी. हालांकि इसमें से कुंजीलाल दिवान का डिस्चार्ज अस्पाल से न होना मिला, डॉक्टर का कहना था कि वो लामा यानी लेफ्ट अगेंस्ट मेडिकल एडवाइस हुआ है, इसलिए उसका थंब नहीं लिया जा सका है.
वहीं ये पूरी जानकारी लल्लूराम की टीम ने स्टेट नोडल एजेंसी के अधिकारी जीजे राव को भी दी, उन्होंने आश्वासन दिया है कि लल्लूराम के पास जो जानकारी है इस पर वे जांच करवाएंगे, जिसके बाद कुछ सही- गलत कहा जा सकेगा. बता दें कि इस अस्पताल की पिछले वर्ष की ब्लॉकिंग 21 लाख रूपए की थी, इस वर्ष तीन महीने की ब्लॉकिंग 44 लाख से अधिक की है और पिछले वर्ष भी उक्त अस्पताल के कोई भी केस रिजेक्ट नहीं हुए है और न इस वर्ष.