प्रतीक चौहान. रायपुर. स्वास्थ्य विभाग की स्टेट नोडल एजेंसी में पिछले कुछ महीनों से एक बड़ा खेल चल रहा है. इस खेल में अपनों से वफा और गैरों से स्टेट नोडल एजेंसी खफा है. खफा इसलिए क्योंकि वहां से उनका स्वार्थ पूरा नहीं हो रहा है और जहां से उनका स्वार्थ पूरा हो रहा है उनसे पूरी ईमानदारी से वफा निभाई जा रही है.

आप के साथ भी कभी न कभी ऐसा हुआ होगा कि आप प्राईवेट अस्पताल पहुंचे होंगे और वहां आपको या तो कार्ड के साथ अतिरिक्त पैसे मांगे गए होंगे, या ये कह दिया गया होगा कि अस्पताल में शासन की योजनाओं के तहत इलाज नहीं होता है.

लेकिन ये प्राईवेट अस्पतालों की मजबूरी है. क्योंकि स्वास्थ्य विभाग की स्टेट नोडल एजेंसी नियमों के विपरित जाकर प्राईवेट अस्पतालों के क्लेम रिजेक्ट कर रही है. हालांकि ऐसा सबके साथ नहीं हो रहा है, स्टेट नोडल एजेंसी की एक महिला अफसर उनके कुछ अपनों पर खूब वफा हैं, अब तो जिन अस्पतालों के केस बड़ी संख्या में रिजेक्ट होने शुरू हो गए है वह भी पूछ रहे है कि फाईल पास कराने के पीछे फंडा क्या है, उन्हें भी ये पता चले तो वो भी उस प्रक्रिया का पालन कर अधिकारी को खुश रखेंगे.

हालांकि मोहतरमा की करतूत सामने आ चुकी है और डॉक्टरों की एक पूरी टीम अब खुलकर सामने आने की तैयारी में है और जल्द ही उनकी करतूत शासन स्तर पर उठाने की तैयारी की जा रही है.

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