नई दिल्ली: दिग्गज अर्थशास्त्री और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा है कि कांग्रेस पार्टी ने उनसे अपनी महत्वाकांक्षी न्यूनतम आय योजना (NYAY) के बारे में बात की थी. इस बयान को लेकर कांग्रेस ने ट्वीट किया है. अपने ट्वीट में कांग्रेस ने कहा है कि ‘न्याय’ योजना पर पूर्व आरबीआई गवर्नर राजन ने दिया मोदी और बीजेपी को करारा जवाब..! रघुराम राजन ने कहा है कि जो न्यूनतम आय गारंटी योजना ‘न्याय’ का मजाक उड़ा रहे हैं, उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए क्योंकि वास्तव में इसे लागू किया जा सकता है। समझे मोदी जी..?

बड़ा सवाल यह है कि क्या इस तरह की स्कीम को बगैर किसी राजकोषीय गणित के विवेक के बिना लागू किया जा सकता है?

उन्होंने यह भी कहा कि इस योजना के लिए राजकोषीय लिहाज से जगह बनाई जा सकती है. राजन का मानना है कि कृषि क्षेत्र में संकट और गरीबी अर्थव्यवस्था पर दबाव के दो प्रमुख कारण हैं. राजन का मानना इस स्कीम के लिए राजकोषीय लिहाज से जगह बनानी पड़ेगी.

 रघुराम राजन का मानना है कि कृषि क्षेत्र में संकट और गरीबी अर्थव्यवस्था पर दबाव के दो प्रमुख कारण हैं.

गौरतलब है कि इस सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश के सबसे गरीब 20 फीसदी परिवारों को सालाना 72,000 रुपये की न्यूनतम आय देने का वादा किया. इसे 2019 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का ब्रह्मास्त्र माना जा रहा है.

इस योजना से 5 करोड़ परिवारों को लाभ होगा. इसकी कुल सालाना लागत 3.6 लाख करोड़ रुपये आएगी. यह खर्च देश के वित्तीय घाटे का तीन गुना, रक्षा बजट का छह गुना और कॉर्पोरेट टैक्स से होने वाली आय का दोगुना है.

 कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश के सबसे गरीब 20 फीसदी परिवारों को सालाना 72,000 रुपये की न्यूनतम आय देने का वादा किया.

जहां एक तरह अन्य अर्थशास्त्री और नीतिकार कांग्रेस की इस स्कीम की संभावना और सफलता पर सवाल उठे रहे हैं, वहीं राजन का मानना है कि इस स्कीम के लिए जगह बनाई जा सकती है. उन्होंने कहा, “यह जरूरी है कि ऐसी योजना के लिए जगह बनाई जाएं, जो वाकई बदलाव ला सकती है.” उन्होंने कहा कि कांग्रेस के उनसे संपर्क करने को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए. उनके अनुसार, पिछली दोनों सरकारों ने प्रत्यक्ष लाभ स्थानांतरण यानी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) का सहारा लिया है. गरीबी हटाने की इस योजना पर दोनों ही सरकारें एकमत रही हैं.

 इस योजना से 5 करोड़ परिवारों को लाभ होगा. इसकी कुल सालाना लागत 3.6 लाख करोड़ रुपये आएगी.

राजन ने कहा कि यह देखना भी महत्वपूर्ण है कि इस तरह की स्कीमें गरीबों को रोजगार के अवसरों की तलाश से दूर न कर दें. इस तरह की योजना का मुख्य मकसद गरीबों को गरीबी से बाहर निकाल कर बेहतर जीवनशैली प्रदान करना है.