
Rajasthan Budget: राजस्थान विधानसभा में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को ‘दादी’ कहने को लेकर छिड़े विवाद का गुरुवार को समाधान हो गया। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की ओर से गलत आचरण के लिए माफी मांगी, जिसके बाद विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने छह निलंबित कांग्रेस विधायकों का निलंबन रद्द कर दिया। इसके बाद सदन की कार्यवाही शायराना माहौल में शुरू हुई, जहां शिव के निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी ने अपने दिल की बात साझा की।

‘मैं तो निर्दलीय हूं…’
सदन में अपनी बात रखते हुए भाटी ने कहा, “मैं तो निर्दलीय हूं, पक्ष और विपक्ष दोनों के साथ बैठा हूं। सच कहूं तो विपक्ष के बिना सदन में वह मजा नहीं आया। कई मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए, जिन्हें वरिष्ठ नेता बैठकर सुलझाएंगे।” इस पर विधानसभा अध्यक्ष ने हंसते हुए कहा कि सदन में विपक्ष की कमी आप पूरी कर रहे थे। इस पर भाटी मुस्कुराए और बोले, “मैं तो आपका अपना हूं, मानो या ना मानो, यह आपकी मर्जी है।”
सीमा क्षेत्र में रिट्रीट सेरेमनी की मांग
भाटी ने सदन में सीमावर्ती क्षेत्र की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा, “मैं उस क्षेत्र से आता हूं, जहां 1965 और 1971 के युद्ध लड़े गए। वहां के लोगों ने कई कठिन दौर देखे हैं। जब भी देश को जरूरत पड़ी, उन्होंने अपनी जान की बाजी लगा दी। मैं चाहता हूं कि उस क्षेत्र में वाघा बॉर्डर की तर्ज पर रिट्रीट सेरेमनी आयोजित करने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाए।” इसके अलावा उन्होंने सीमावर्ती इलाके में वॉर म्यूजियम बनाने की भी मांग की, ताकि आने वाली पीढ़ियां देश के वीरता की कहानियों से प्रेरित हो सकें।
10 दिन में छोड़ी थी बीजेपी, निर्दलीय जीते चुनाव
बाड़मेर के दूधोड़ा गांव के निवासी रविंद्र सिंह भाटी विचारधारा से भाजपा के करीब माने जाते हैं और एबीवीपी के सदस्य भी रहे हैं। 2023 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने भाजपा जॉइन की थी, लेकिन टिकट न मिलने के कारण 10 दिन बाद ही पार्टी छोड़ दी और निर्दलीय चुनाव लड़कर जीत हासिल की। दिलचस्प बात यह रही कि भाजपा उम्मीदवार अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए थे।
निर्दलीय जीतने के बाद भाटी भाजपा में शामिल होना चाहते थे, लेकिन पार्टी के कुछ बड़े नेता इसके विरोध में थे। इसके बाद उन्होंने जैसलमेर से आराधना यात्रा निकाली, जिसे जनता का जबरदस्त समर्थन मिला। भाजपा को संभावित नुकसान दिखा, तो पार्टी ने उन्हें जयपुर बुलाया और सीएम से चर्चा भी हुई, लेकिन भाटी ने जनता से राय लेकर फैसला लेने की बात कही और भाजपा में जाने से किनारा कर लिया। बाद में उन्होंने निर्दलीय लोकसभा चुनाव भी लड़ा, हालांकि इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
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