जयपुर। आखिरकार राजस्थान में महीनों से चल रहे सियासी उठापटक के बीच वह दिन आ ही गया, जब विधानसभा में ध्वनिमत से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विश्वास प्रस्ताव जीत लिया. इस जीत के साथ ही अब अगले छह महीने तक गहलोत सरकार पर कोई संकट नहीं है.

राजस्थान विधानसभा में लगभग तीन घंटों तक राजस्थान से संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने विश्वास प्रस्ताव पेश किया. धारीवाल ने केंद्र सरकार ने पैसे और ताकत के दम पर मध्यप्रदेश, मणिपुर और गोवा में सरकार गिराए जाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस तरह का प्रयास राजस्थान में सफल नहीं होगा. उन्होंने मुगल बादशाह अकबर का जिक्र करते हुए कहा कि अपने साम्राज्य को बढ़ाने के प्रयास में उन्हें राजस्थान के मेवाड़ में शिकस्त खानी पड़ी थी. इसी तरह भाजपा का भी गहलोत सरकार को गिराने के प्रयास में शिकस्त खानी पड़ी है.

सदन में चर्चा के दौरान सचिन पायलट ने भाजपा विधायक के सदन के किनारे में स्थान दिए जाने को लेकर की गई टिप्पणी पर कहा कि सीमा पर सबसे बहादुर और विश्वासपात्र सैनिक को ही भेजा जाता है. मेरा स्थान यहां क्यों है इस पर इतना ही कहूंगा कि यह सरकार और विपक्ष के बीच सीटों की सीमा पर है. उन्होंने कहा कि ‘डॉक्टर’ ने हस्ताक्षेप किया और हम सब एक साथ हैं. हम सबने ‘डॉक्टर’ को अपनी चिंताएं बताई और ‘उपचार’ के बाद हम सब यहां पर एक साथ इकट्ठा हैं.

भाजपा विधायक सतीश पुनिया ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि दुनिया में पहली बार ऐसा हुआ जब चुनी हुई सरकार एक महीने तक रिजार्ट से काम करती रही. भाजपा विधायक किरण माहेश्वरी ने कहा कि क्या कांग्रेस के विधायक फेयरमाउंट होटल में पास्ता बनाकर क्या सोनिया गांधी को खुश कर रहे थे. वहीं भाजपा विधायक गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि हम पहले दिन से आपके बीच (गहलोत और पायलट) लड़ाई देख रहे थे. यह आप हैं जो इस स्थिति (विश्वास प्रस्ताव) तक लेकर आए हैं. आपके एक महीने तक क्यो उहापोह वाली स्थिति बरकरार रखी. कांग्रेस सरकार ने सत्ता पर काबिज रहने के लिए पुलिस का दुरुपयोग किया.

विश्वास प्रस्ताव की चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आपका (भाजपा) का सपना कभी साकार नहीं होगा. आप हमारी सरकार के खिलाफ षड़यंत्र रच रहे थे. मैं 50 सालों से राजनीति में हूं. लेकिन जिस तरह से आप बात कर रहे थे, उससे मैं आहत हूं. मैं राजस्थान सरकार को किसी भी हालत में गिरने नहीं दूंगा. सरकार आती और जाती रहती है, इंदिरा गांधी भी चुनाव हार गईं थी, लेकिन उसके बाद ‘आंधी’ भी आई थी. मैं 69 साल का हूं, और 50 सालों से राजनीति में हूं. मैं इस लोकतंत्र की वजह से केंद्र सरकार में मंत्री और मुख्यमंत्री रहा. मुझे इस लोकतंत्र की चिंदा है. लेकिन आप क्यों नहीं हो?

गहलोत ने कहा कि महामारी के दौरान भी विपक्ष सरकार गिरने में मशगुल था. आपने कर्नाटक, मध्यप्रदेश, गोवा और मणिपुर में क्या किया. आपको इस बात की कोई चिंता नहीं है कि लोकतंत्र खतरे में है. गहलोत ने विधायकों के काम के प्रति संतुष्टि जताते हुए जनता ने उनके काम को पसंद किया है. उन्होंने कहा कि राजस्थान में अवैधानिक तरीके से सांसद और विधायकों का फोन टेप करने की परंपरा नहीं है. लेकिन क्या ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स जैसे विभागों का देश में गलत इस्तेमाल नहीं किया गया है. इस तरह से विपक्ष के तमाम आरोपों का जवाब देने के बाद गहलोत सरकार का विश्वास प्रस्ताव ध्वनिमत से पारित हुआ.