भारत में पुण्य अर्जित करने के लिए लोग चार धाम और तीर्थ स्थानों की यात्रा करते रहे हैं और पवित्र नदी में स्नान कर अपने पाप धोते हैं. लेकिन राजस्थान में एक कुंड ऐसा भी है, यहां पाप मुक्ति की डूबकी लगाने के बाद पुजारियों की कचेहरी से एक पापमुक्ति प्रमाण-पत्र मिलता है। जिसका अर्थ है. आपसे जाने-अनजाने में जो पाप हुए है, उन्हें इस पवित्र कुंड के स्नान ने धो दिया है.

जयपुर से कोई साढ़े चार सौ किलोमीटर दूर आदिवासी बहुल प्रतापगढ़ जिले में स्थित गौतमेश्वर ऐसे स्थान पर है. जहाँ अरावली के पहाड़ और मालवा के पठार संधि करते नजऱ आते हैं. दक्षिणी राजस्थान के कांठल, वागड़, मालवा समेत आसपास के इलाकों में आदिवासियों के हरिद्वार के नाम प्रसिद्ध गौतमेश्वर महादेव अरावली की उपत्यकाओं में अवस्थित प्राकृतिक परिवेश में स्थित है. अपनी तीर्थ भौगोलिक स्थिति के कारण राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के बीच त्रिकोण बनाता है यह स्थान. Read More – Sidharth Malhotra और Kiara Advani की हो गई परमानेंट बुकिंग, शादी के बाद रोमांस में डूबा दिखा नया जोड़ा …

किसी भी मनुष्य से किसी भी जीव-जंतु की जाने-अनजाने में मृत्यु हो जाती है तो उसका प्राश्चित गौतमेश्वर में किया जाता है. गौतमेश्वर मंदिर में बने मंदाकिनी कुंड में डुबकी और दान करने के बाद एक प्रमाण पत्र मिलता है. जो ये प्रमाणित करता है कि अब आप पाप मुक्त हो चुके हैं. स्नान के बाद गौतमेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना की जाती है.

त्रेता में महर्षि शृंग ने प्रकट किया था गंगा को

यह स्थान शृंग ऋषि की तपोस्थली भी रहा है. यहां पापमोचनी गंगाकुड के बाहर बोर्ड लगा हुआ है. जिस पर शृंग बोध से ली गई सूचना अंकित है. पुजारी बंटी शर्मा ने बताया कि इसके तहत इस पर अंकित है कि यहा स्थान त्रेता युग में महर्षि शृंग की तपोस्थली रही है. उनके तप से यहां गंगा प्रकट हुई. Read More – BB 16 के फिनाले से पहले चमकी Shiv Thakare की किस्मत, रोहित शेट्टी दिया ये ऑफर …

आजादी से अब तक सभी श्रद्धालुओं का रिकॉड है मौजूद

भारत की आजादी के बाद से मंदिर के पास उन श्रद्धालुओं के रिकॉर्ड हैं जिन्होंने कुंड में डुबकी और दान देकर पाप मुक्ति का प्रमाणपत्र हासिल कर चुके हैं. अमीनत कछारी के नाम से जाना जाने वाला पुजारियों का एक दल प्रत्येत प्रमाण पत्र का निर्धारित शुल्क लेता है. यहां मुख्य मेला वैशाखी पूर्णिमा पर लगेगा.