Rajasthan Lok Sabha Elections: लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा ने अल्पसंख्यक बहुल सीटों के लिए आक्रामक और भावनात्मक दोनों तरह की रणनीति तैयार की है. इनमें मुस्लिम वोटरों को साधने के लिए पार्टी ने पहले ‘स्नेह संवाद’ कार्यक्रम किए और अब संवाद सेतु के जरिए सक्रिय है.

दूसरी ओर इन सीटों पर ही हिन्दू मतदाताओं को अपने साथ जोड़ने के लिए राम मंदिर निर्माण से जोड़ा जा रहा है. इनमें वे मतदाता हैं, जो कांग्रेस पार्टी के पक्ष में वोट करते आए हैं. राजनीतिक दलों के अनुसार प्रदेश में अल्पसंख्यक बहुल विधानसभा सीटों की संख्या 40 है और इसी आधार पर रणनीति तैयार की गई है. भाजपा ने इनमें से 18 सीट ऐसी मानी है, जहां परिणाम में मुस्लिम मतदाता निर्णायक स्थिति में रहता है.

आप ये जानकर हैरान हो जाएंगे कि राजस्थान में अब तक हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को तीन बार और बीजेपी को एक बार सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा है. वर्ष 1989, 2014 और 2019 में कांग्रेस पार्टी की सभी सीटों पर हार हुई. वहीं, वर्ष 1984 में भाजपा को सभी सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था.

1984 में मिली सहानुभूति वर्ष 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को देशभर में जनता की सहानुभूति मिली थी. तब पार्टी ने प्रदेश की सभी 25 सीटों पर जीत दर्ज की थी. इसके बाद 1989 में चुनाव में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला और बीजेपी ने 13 और जनता दल ने 11 सीटें जीती थीं. एक सीट CPM के खाते में गई थी.

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