राजस्थान का यह मंदिर कई मायनों में अनूठा है. अद्भुत है. इस मंदिर जैसी विशेषता दुनिया के इसी और मंदिर में नहीं देखने को मिलेगी. मंदिर का नाम जानने से पहले एक बार इस मंदिर से जुड़ी खास बातों को जान लीजिए. स्वयं भू भगवान गणेश की मूर्ति के त्रिनेत्र है. यहां गणेश जी की पहली त्रिनेत्री प्रतिमा विराजमान है. भगवान गणेश को आज भी लोग चिट्ठी लिखकर अपनी परेशानी सुनाते हैं. एक कथा के अनुसार भारत में प्रथम गणेश इसी जगहों को कहा जाता है.

दुनिया का अकेला ऐसा मंदिर है, जहां गणेश जी अपने पूरे परिवार के साथ रहते हैं. गणेश जी के साथ यहाँ उनकी दोनों पत्नियों रिद्धि, सिद्धि और दोनों पुत्र शुभ, लाभ भी विराजमान है. उज्जैन के राजा विक्रमादित्य इस मंदिर में हर बुधवार पूजा करने आते थे. ऐसी अनेक अविस्मरणीय विशेषता लिए ये मंदिर राजस्थान के रणथंभौर में स्थित है. Read More – Valentine’s Day के दिन ही मनाया जाता है मातृ-पितृ पूजन दिवस, जानिए इसकी कहानी …

जयपुर से इस इसकी दूरी 142 किमी है. सवाईमाधोपुर से 13 किमी की दूरी है. मंदिर लगभग 1579 फ़ीट की ऊंचाई है. राजस्थान का खूबसूरत शहर रणथंभौर पूरी दुनिया में मशहूर है वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के लिए. देश विदेश से सैलानी यहाँ टाइगर सफारी और वन्य जीवन को करीब से देखने के लिए आते हैं. इसके साथ ही यहाँ का मशहूर गणेश मंदिर भी लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है. रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान के बीच स्थित है विश्व धरोहर में शामिल ऐतिहासिक रणथंभौर का किला और इसी किले में बना हुआ है भगवान गणेशजी का मंदिर. Read More – वैलेंटाइन डे : वॉट्सएप के इन खास स्टिकर्स से करें अपने प्यार का इजहार…

मंदिर का इतिहास

महाराजा हम्मीरदेव चौहान व दिल्ली शासक अलाउद्दीन खिलजी का युद्ध 1299-1301 ईस्वी के बीच रणथम्भौर में हुआ. इस दौरान नौ महीने से भी ज्यादा समय तक यह किला दुश्मनों ने घेरे रखा. दुर्ग में राशन सामग्री समाप्त होने लगी तब गणेशजी ने हमीरदेव चौहान को स्वप्न में दर्शन दिए और उस स्थान पर पूजा करने के लिए कहा जहां आज यह गणेशजी की प्रतिमा है. हमीर देव वहां पहुंचे तो उन्हे वहां स्वयंभू प्रकट गणेशजी की प्रतिमा मिली. हमीर देव ने फिर यहां मंदिर का निर्माण कराया.