
Rajasthan News: जयपुर. सांप्रदायिक दंगा मामलों की जयपुर स्थित विशेष अदालत ने वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद प्रकरण के बाद मालपुरा में सांप्रदायिक हिंसा के 11 आरोपियों को साक्ष्य के अभाव दोषमुक्त कर दिया, जबकि कैलाश माली और सुखदेव लोहार की मौत हो चुकी है.
इनके अलावा एक बाल अपचारी का प्रकरण किशोर न्यायालय में लंबित है. कोर्ट ने अभियोजन पक्ष कोे आरोप प्रमाणित करने में विफल मानते हुए रामस्वरूप, सीताराम शर्मा, रामबाबू शर्मा, घनश्याम, नोरत लोहार, रामबाबू, राजेन्द्र प्रसाद गालव, रामबाबू तेली, रमेश चन्द विजय, ओमप्रकाश तेली और सत्यनारायण धानका को बरी कर दिया.

कोर्ट ने इनको राहत देते हुए कहा कि ऐसा कोई साक्ष्य नहीं है, जिससे इनके हमलवारों में शामिल होने की पुष्टि हो. इसके अलावा इनसे कोई बरामदगी भी नहीं हुई. दरअसल, बाबरी मस्जिद ढांचा ध्वस्त होने के बाद मालपुरा में सांप्रदायिक हिंसा हुई, जिसमें कई लोगों की मौत हुई. 9 दिसंबर, 1992 को शरीफन नाम की महिला ने पुलिस थाने में लोगों की मौत को लेकर रिपोर्ट दर्ज कराई, जिस पर सीआइडी-सीबी ने जांच की और 14 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया गया.
बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अमर सिंह और अश्विनी बोहरा ने कहा कि एफआइआर के अनुसार घटना महिला के घर हुई, लेकिन रिपोर्ट दर्ज कराने वाली महिला ने कोर्ट में बयान दिया कि घटना उसके घर नहीं हुई. कुछ अन्य गवाहों ने भी घटना से इनकार किया, पुलिस को दिए बयानों में भी इन लोगों के नाम नहीं थे. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद कोर्ट ने सभी 11 लोगों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया.
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