Rajasthan News: ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर चल रहे विवाद में शुक्रवार, 31 मई को न्यायिक मजिस्ट्रेट संख्या-2 की अदालत में सुनवाई हुई। यह मामला हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता की उस याचिका से जुड़ा है, जिसमें दावा किया गया है कि दरगाह परिसर में प्राचीन संकट मोचन शिव मंदिर स्थित था।

याचिका में तीन मुख्य आधारों पर मंदिर होने का दावा किया गया है

  1. दरवाजों की बनावट और उन पर की गई नक्काशी, जो मंदिरों से मिलती-जुलती है,
  2. ऊपर की संरचना में मंदिर जैसे अवशेषों की उपस्थिति,
  3. परिसर में जलस्रोत और झरनों की मौजूदगी, जिन्हें प्राचीन शिव मंदिरों की विशेषता माना जाता है।

वादी पक्ष ने रखा अपना पक्ष

वादी की ओर से अधिवक्ता योगेंद्र ओझा ने अदालत में दलील दी कि केंद्र सरकार को पक्षकार बनाए बिना भी इस याचिका पर सुनवाई संभव है। इसके विपरीत, दरगाह कमेटी और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने आपत्ति जताते हुए कहा कि जब तक केंद्र सरकार को पक्षकार नहीं बनाया जाता, तब तक याचिका स्वीकार नहीं की जा सकती।

दरगाह कमेटी के वकील अशोक माथुर ने बताया कि ASI के अधिवक्ता बसंत विजयवर्गीय ने पिछली सुनवाई में अदालत से यह मांग की थी कि केंद्र को पक्षकार न बनाने पर याचिका खारिज की जाए।

अगली सुनवाई 19 जुलाई को

वादी पक्ष ने इस मुद्दे पर बहस के लिए समय की मांग की, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया। अब अगली सुनवाई 19 जुलाई को होगी। उसी दिन दरगाह कमेटी द्वारा दाखिल 7/11 की अर्जी पर भी बहस की जाएगी।

पृथ्वीराजविजय का हवाला

याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता ने अपने दावे के समर्थन में ‘पृथ्वीराजविजय’ नामक ऐतिहासिक ग्रंथ का भी उल्लेख किया है। गुप्ता का कहना है कि इसमें मंदिर से जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों का उल्लेख मिलता है, जो उनके दावे को मजबूत करते हैं।

अब अदालत 19 जुलाई को दोनों पक्षों की दलीलों के आधार पर अगली कार्यवाही तय करेगी। इस संवेदनशील मामले में सभी की निगाहें अदालत के अगले कदम पर टिकी हुई हैं।

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