Rajasthan News: वक्फ़ संशोधन विधेयक को लेकर अजमेर दरगाह के खादिमों के बीच मतभेद उभरकर सामने आए हैं। केंद्र सरकार ने 3 अप्रैल को यह बिल लोकसभा में पेश किया, जिसे अगले दिन राज्यसभा में भी प्रस्तुत किया जाएगा। इस मुद्दे पर दरगाह के गद्दीनशीन सलमान चिश्ती और दरगाह दीवान के उत्तराधिकारी व ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के चेयरमैन सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने समर्थन जताया है। दूसरी ओर, खादिमों की प्रमुख संस्था अजमेर शरीफ अंजुमन ने इसका कड़ा विरोध किया है।

अंजुमन समिति की आपत्ति
अंजुमन संस्था ने एक निंदा प्रस्ताव पारित करते हुए उन सदस्यों की आलोचना की है जिन्होंने वक्फ़ संशोधन विधेयक का समर्थन किया है। समिति ने आरोप लगाया कि ये सदस्य बीजेपी और दक्षिणपंथी संगठनों के प्रभाव में आकर “मुसलमानों के हितों के खिलाफ़” काम कर रहे हैं।
सलमान चिश्ती के लेख पर विवाद
अजमेर दरगाह में मतभेद की एक प्रमुख वजह गद्दीनशीन सलमान चिश्ती का वह लेख है, जो 31 मार्च को अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदू में प्रकाशित हुआ था। लेख का शीर्षक था – “वक्फ़ में सुधार का वक़्त आ गया है”, जिसमें उन्होंने वक्फ़ में पारदर्शिता और जवाबदेही की जरूरत पर जोर दिया।
इस लेख को केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने भी अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर साझा किया और लिखा –
“सुधार और जवाबदेही सुनिश्चित कर ही हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि वक्फ़ मुस्लिम समुदाय को लाभ पहुंचाने और व्यापक समाज के लिए योगदान करने के अपने मूल उद्देश्य को पूरा कर सकता है।”
इसके अलावा, अजमेर दरगाह के आध्यात्मिक गुरु के उत्तराधिकारी सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने भी इस विधेयक का समर्थन किया है।
अंजुमन का जवाब: सलमान दरगाह प्रमुख नहीं हैं
अजमेर दरगाह के खादिमों का प्रतिनिधित्व करने वाली संस्था ‘अंजुमन सैयद जादगान’ ने बिल का समर्थन करने वालों को “मुसलमानों के हितों के ख़िलाफ़ काम करने वाले बाहरी तत्व” करार दिया।
अंजुमन के सचिव सरवर चिश्ती ने कहा, “सलमान चिश्ती दरगाह के 5,000 खादिमों में से एक हैं। खादिम होने के नाते वह अंजुमन द्वारा पारित प्रस्ताव के खिलाफ नहीं जा सकते। उन्होंने खादिमों के नाम का दुरुपयोग किया है।” उन्होंने आगे कहा,
“मीडिया में सलमान चिश्ती खुद को ‘दरगाह प्रमुख’ के रूप में पेश कर रहे हैं, जो सही नहीं है। वह दरगाह प्रमुख नहीं, बल्कि एक खादिम हैं। व्यक्तिगत रूप से विधेयक का समर्थन करना उनकी मर्जी है, लेकिन वह हमारे पारित प्रस्ताव के खिलाफ नहीं जा सकते।”
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