Rajasthan News: कृषि एवं उद्यानिकी मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने कहा कि ईआरसीपी परियोजना से प्रदेश में कृषि और बागवानी नई करवट लेगी। सिंचाई और पेयजल के लिए भरपूर पानी उपलब्ध होने से पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के किसानों की तकदीर बदलेगी।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रदेश को ईआरसीपी के रूप में बड़ी सौगात दी है। हमें पानी खर्च करने में मितव्यता दिखानी होगी। वहीं, बूंद-बूंद पानी संचय के साथ-साथ सदुपयोग को प्रोत्साहित करना होगा। कृषि मंत्री मीणा राजस्थान कृषि अनुसंधान संस्थान, दुर्गापुरा में गुरूवार से शुरू हुए तीन दिवसीय राष्ट्रीय बागवानी शिखर सम्मेलन, सह अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का फीता काटकर उद्घाटन करने के बाद आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि राजस्थान देश का सबसे बड़ा प्रदेश है। लेकिन, जल उपलब्धता 0.1 फीसदी के करीब है। जबकि, यहां भूमि की उर्वरता काफी अच्छी है। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विकसित नई तकनीक और नई किस्मों को धरातल रूप देकर ना केवल किसानों की आय को बढाया जा सकता है। बल्कि, कृषि परिदृश्य में भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। 

कृषि मंत्री ने कहा कि प्रदेश  में चंबल ऐसी नदी है, जिसमें पर्याप्त जलनिधी उपलब्ध है। प्रधानमंत्री  द्वारा ईआरसीपी परियोजना के मंजूरी दिए जाने से अब पांच नदियां जोडक़र प्रदेश के 13 जिलों को पेयजल के साथ-साथ सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जायेगा। इससे पूर्वी राजस्थान में बागवानी के साथ-साथ कृषि फसलों के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि संभव होगी। उन्होंने घटती कृषि जोत और उलपब्ध जल को देखते हुए किसानों से संरक्षित खेती, सूक्ष्म सिंचाई और बागवानी से जुडऩे का आव्हन किया। साथ ही, रिसर्च को लैब से लैण्ड तक पहुंचाने की आवश्यकता जताई। उन्होंने श्री कर्ण नरेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर द्वारा तैयार 60 करोड़ लीटर क्षमता वाले वाटर रिसाईक्लिंग प्लांट की प्रशंसा की। साथ ही, शिखर सम्मेलन में आने वाले सुझावों को सरकार के विजन डॉक्यूमेंट में शामिल करने का आश्वासन भी दिया। 

कार्यक्रम को वाईएसआर बागवानी विश्वविद्यालय, गोदावरी, आंधप्रदेश के कुलपति डॉ. टी जानकीराम ने भी सम्बोधित किया। उन्होंने बागवानी फसलों का उत्पादन और उत्पादकता बढाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों से एआई, सेंसर और नैनो तकनीक को उपयोग में लाने पर जोर दिया। साथ ही, फूड इंडस्ट्रीज की मांग के अनुरूप प्रसंस्करण योग्य और पोषकता से भरपूर फल-सब्जी किस्मों के विकास की आवश्यकता जताई।

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