Rajasthan News: दुष्कर्म के मामले में दोषी ठहराए गए आसाराम को गुजरात हाईकोर्ट से तीन महीने की अंतरिम जमानत मिली है। पहले से ही मेडिकल ग्राउंड पर अस्थायी जमानत पर चल रहे आसाराम की जमानत अवधि 31 मार्च को समाप्त होने वाली थी, जिसे बढ़ाने के लिए उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट की दो जजों की बेंच में इस मामले पर विभाजित राय थी, जिसके बाद मामला गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पास पहुंचा। अब चीफ जस्टिस ने 30 जून तक के लिए जमानत अवधि बढ़ाने का आदेश दिया है।

राजस्थान हाईकोर्ट में भी दायर करनी होगी याचिका
आसाराम ने गांधीनगर दुष्कर्म मामले में छह महीने की स्थायी जमानत की मांग की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने सिर्फ तीन महीने की अंतरिम जमानत दी है। हालांकि, जोधपुर दुष्कर्म केस में भी वे दोषी करार दिए जा चुके हैं और आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं। इसलिए अब उन्हें राजस्थान हाईकोर्ट से भी जमानत के लिए याचिका दायर करनी होगी।
कोर्ट में मौलिक अधिकारों का दिया हवाला
जमानत याचिका में आसाराम ने अपने 86 वर्ष की उम्र और गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला दिया। उन्होंने अदालत में दलील दी कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दोषियों को भी जीवन जीने का अधिकार है, और उचित इलाज की सुविधा मिलनी चाहिए। उनका कहना था कि उम्रदराज कैदियों के लिए इनवेसिव सर्जरी कठिन होती है, इसलिए उन्हें विशेष चिकित्सा देखभाल की जरूरत है।
एम्स जोधपुर की रिपोर्ट के अनुसार, आसाराम कोरोनरी आर्टरी डिजीज से पीड़ित हैं जो हाई-रिस्क श्रेणी में आता है। उन्हें विशेष नर्सिंग देखभाल और करीबी चिकित्सीय निगरानी की जरूरत है। एंडोक्रिनोलॉजिस्ट और नेफ्रोलॉजिस्ट से नियमित परामर्श आवश्यक है। उनके स्वास्थ्य की गंभीरता को देखते हुए विशेषज्ञों ने उनकी स्थिति को घातक करार दिया।
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