Rajasthan News: राजस्थान के शुष्क और रेत से भरे जैसलमेर शहर में हरियाली की ओर एक बड़ा कदम उठाते हुए प्रादेशिक सेना की 128वीं पैदल वाहिनी (इको टास्क फोर्स) ने रविवार को एक नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। इस अभियान के तहत 1 घंटे में 5 लाख 19 हजार पौधे लगाए गए, जिससे जैसलमेर की धरती को हरा-भरा बनाने का संदेश और अधिक जोर पकड़ रहा है।
पौधारोपण का महायज्ञ
जैसलमेर में एयरपोर्ट न्यू लिंक रोड, मिलिट्री स्टेशन, मोहनगढ़, सम, देवीकोट और हमीरा सहित 7 स्थानों पर पौधारोपण का यह भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अभियान में जिला प्रशासन, सेना, बीएसएफ, एयर फोर्स, वन विभाग और आम जनता ने मिलकर भाग लिया। रविवार सुबह 11 बजे से 12 बजे तक चले इस कार्यक्रम में कुल 5.19 लाख पौधे लगाए गए, जिसमें सिर्फ मिलिट्री स्टेशन में ही 2.57 लाख और एयरपोर्ट रोड पर 1.70 लाख पौधे शामिल थे।
पौधों की देखभाल और रिकॉर्ड दर्ज
128वीं पैदल वाहिनी, जिसे इको टास्क फोर्स के नाम से भी जाना जाता है, ने बताया कि वे पौधे लगाने के बाद अगले 4 साल तक उनकी देखभाल करते हैं। यह वाहिनी 1997 से जैसलमेर में तैनात है और अब तक 20 हजार हेक्टेयर जमीन पर करीब 2 करोड़ पौधे लगा चुकी है। इस रिकॉर्ड को वर्ल्ड बुक ऑफ रिकॉर्ड्स और लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में भेजा जा रहा है।
बीएसएफ की भी अहम भागीदारी
इस ऐतिहासिक पौधारोपण अभियान में सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवानों ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया। जैसलमेर के जिला कलेक्टर प्रताप सिंह ने इस सफलता पर पूरे जिले का आभार जताते हुए कहा कि जैसलमेर की जनता ने इस पौधारोपण के महायज्ञ में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और निर्धारित लक्ष्य से अधिक पौधे लगाकर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद देते हुए इसे जैसलमेर के लिए गर्व का क्षण बताया।
पढ़ें ये खबरें भी
- Do Muhe Baal Kaise Hataye: दोमुंहे बालों को बिना काटे इस तरीके पाएं निजात, जानिए टिप्स…
- यहां कुछ तो गड़बड़ है! पानी पीने गया बच्चा अचानक हुआ घायल, अस्पताल में तोड़ा दम, टीचर बता रहे ये वजह…
- महापुरुषों का फिर हुआ अपमान: राजा भोज की प्रतिमा के सामने बड़ा तालाब में युवक ने किया पेशाब, सांसद ने कमिश्नर से की कार्रवाई की मांग
- गृह दोष और काली शक्ति के नाम पर ठगी: हाथ की सफाई दिखाकर महिलाओं को जाल में फंसाया, फिर ऐंठ लिए रुपए
- ब्लैक का खेल, सिस्टम फेल! बुआई शुरू होते ही एक्टिव हुए जमाखोर, खाद की किल्लत किसानों के लिए बनी मुसीबत, कैसे लगेगी ‘काले कारोबार’ पर रोक?