Rajasthan News: राजस्थान में ‘वन स्टेट वन इलेक्शन’ (एक राज्य, एक चुनाव) की दिशा में सरकार ने कदम तेज कर दिए हैं। बताया जा रहा है कि 49 शहरी निकायों में 25 नवंबर को कार्यकाल समाप्त होने के बाद प्रशासकों की नियुक्ति की जा सकती है। सरकार पंचायत चुनाव के साथ इन निकायों में भी चुनाव कराने की योजना पर काम कर रही है। इसको लेकर यूडीएच विभाग ने विधि विभाग को प्रस्ताव भेजा है।

अध्यादेश से हो सकता है फैसला

राजस्थान सरकार अध्यादेश के जरिए ‘वन स्टेट वन इलेक्शन’ लागू करने पर विचार कर रही है। यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा पहले भी कई बार इस योजना को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जता चुके हैं। सरकार की मंशा है कि राज्य की 291 शहरी निकायों और 7,000 पंचायतों में एक साथ चुनाव कराए जाएं।

सितंबर में इस योजना को सुचारु रूप से लागू करने के लिए एक कैबिनेट सब-कमेटी बनाने की चर्चा भी हुई थी। यह कमेटी संभावित कानूनी और प्रशासनिक बाधाओं का अध्ययन कर समाधान सुझाएगी।

प्रशासकों की नियुक्ति पर जोर

जिन 49 शहरी निकायों का कार्यकाल 25 नवंबर को समाप्त हो रहा है, उनमें चुनाव से पहले प्रशासकों की नियुक्ति अनिवार्य होगी। हालांकि, जयपुर, जोधपुर, और कोटा जैसे बड़े निकायों का कार्यकाल अगले साल नवंबर में समाप्त होगा।

बजट घोषणा से योजना को मिली गति

वित्त मंत्री दिया कुमारी ने इस साल के बजट में ‘वन स्टेट वन इलेक्शन’ की घोषणा की थी। इसके पीछे तर्क दिया गया कि बार-बार चुनाव होने से आचार संहिता लागू होने के कारण सरकारी कामकाज प्रभावित होता है और सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ता है।

विपक्ष ने किया विरोध

कांग्रेस ने इस योजना का विरोध जताते हुए इसे सरकार का अलोकप्रिय कदम बताया है। हालांकि, झाबर सिंह खर्रा ने स्पष्ट किया कि यह कदम प्रशासनिक स्थिरता लाने और राजनीतिक प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए आवश्यक है।

आगामी रणनीति पर नजर

सरकार के इस फैसले का असर राज्य की राजनीति और चुनावी प्रक्रिया पर महत्वपूर्ण होगा। अब यह देखना बाकी है कि अध्यादेश और प्रशासकों की नियुक्ति के साथ ‘वन स्टेट वन इलेक्शन’ का सपना कैसे साकार होता है।

पढ़ें ये खबरें