Rajasthan News: अगस्त माह में मानसून की बेरूखी की वजह से विद्युत की मांग में अप्रत्याशित रूप से बढ़ोतरी हुई है। राज्य में अगस्त माह में औसतन 150 मिमी. बारिश होती है लेकिन इस वर्ष  औसतन होने वाली बारिश का मात्र 20 प्रतिशत यानि 30 मिमी. बरसात ही हुई है। इतनी कम बरसात इससे पहले 86 वर्ष पूर्व 1937 में हुई थी।

राजस्थान डिस्कॉम्स के अध्यक्ष भास्कर ए. सावंत के अनुसार बारिश कम होने, तापमान बढने से घरेलू खपत में बढ़ोतरी, फसल की सिंचाई हेतु किसानों को अधिकाधिक संख्या में कृषि कनेक्शनों को प्राथमिकता से जारी किए जाने और जून व जुलाई में अच्छी बरसात होने से अधिक पानी की खपत वाली फसलों मूंगफली आदि की बुवाई में 9 प्रतिशत की वृद्धि होने की वजह से विद्युत की मांग में बढ़ोतरी हुई है।

उन्होंने बताया कि अगस्त माह में विद्युत की मांग पिछले वर्ष इसी माह की तुलना में करीब 39 प्रतिशत अधिक रही है। अगस्त माह में एक दिन में अधिकतम 3519 लाख यूनिट की आपूर्ति की गई व अधिकतम मांग 17000 मेगावाट को भी पार कर गई। अगस्त माह में विद्युत की ऐतिहासिक रूप से बढी हुई मांग के अनुसार विद्युत की आपूर्ति भी की गई। 16 अगस्त से 21 अगस्त के दौरान विद्युत की मांग व आपूर्ति में कुछ अन्तर रहने की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों में आंशिक रूप से  एक से डेढ घण्टे की कटौती करनी पड़ी। इस दौरान ही अन्य राज्यों में भी विद्युत की मांग में वृद्धि होने की वजह से एनर्जी एक्सचंेज में भी पर्याप्त मात्रा में बिजली उपलब्ध नहीं हुई।

सितम्बर माह में भी विद्युत मांग में अगस्त माह के समकक्ष ही वृद्धि रही तथा  4 सितम्बर को अब तक की अधिकतम एक दिन में 3714 लाख यूनिट विद्युत की आपूर्ति कर रिकार्ड कायम किया। सितम्बर माह में अधिकतम मांग 17840 मेगावाट दर्ज की गई। राष्ट्रीय स्तर पर भी विद्युत की मांग में बढ़ोतरी का यही परिदृश्य देखने को मिला एवं 1 सितम्बर को अबतक की अधिकतम 240 गीगावाट (240000 मेगावाट) विद्युत की मांग दर्ज की गई, जो कि अधिकतम उपलब्ध क्षमता से भी 10745 मेगावाट अधिक है।

डिस्कॉम्स कें अध्यक्ष भास्कर ए. सावंत ने बताया कि इन सब विकट परिस्थिति के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों केलिए औसतन 21-22 घण्टे विद्युत की उपलब्धता सुनिश्चित की गई। विद्युत की मांग में अप्रत्याशित वृद्धि के कारण कुछ क्षेत्रों में विद्युत के प्रसारण व वितरण तन्त्र पर अत्यधिक दबाव आने से विद्युत आपूर्ति में व्यवधान रहा। इसके समाधान हेतु विद्युत प्रसारण निगम व वितरण निगम के इंजीनियरर्स द्वारा टीम का गठन कर प्रभावित इलाकों में निरीक्षण कर अधिकभार वाले सब स्टेशन चिन्हित कर विद्युत व्यवस्था दुरूस्त करने हेतु आवश्यक कदम उठाए गये।

4 सितम्बर के बाद से कई राज्यों में हल्की व मध्यम दर्जे की वर्षा होने के कारण मांग में कुछ कमी आयी है। रबी सीजन के लिए व्यवस्था नवम्बर से मार्च माह तक रबी का सीजन होने के कारण विद्युत की मांग में पुनः वृद्धि अनुमानित है। रबी के सीजन में सिंचाई हेतु किसानों को पर्याप्त विद्युत आपूर्ति हेतु मांग का आंकलन कर विद्युत की उपलब्धता सुनिश्चित करने का कार्य प्राथमिकता से जारी है। दूसरे राज्यों से बैंकिग के जरिए विद्युत आपूर्ति के करार भी कर लिए गए है और तकनीकी साध्यता को देखते हुए लघु अवधि निविदा द्वारा विद्युत क्रय की प्रक्रिया भी जारी है।

ऊर्जा विभाग द्वारा कृषि विभाग के विषय विशेषज्ञों के साथ भी विचार-विमर्श कर रबी की बुवाई का समय, बुवाई का क्षेत्रफल आदि आवश्यक सूचनाओं को एकत्र कर विद्युत की मांग के आंकलन को यथा संभव सटीक करने का प्रयास किया गया है।

ये खबरें भी जरूर पढ़ें