Rajasthan News: चित्तौड़गढ़ के फतेह प्रकाश महल में 25 नवंबर को विश्वराज सिंह का राजतिलक होगा, जिसमें उन्हें मेवाड़ के 77वें महाराणा के रूप में मान्यता दी जाएगी। यह आयोजन सुबह 10 बजे शुरू होगा। इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के लिए नाथद्वारा के विधायक विश्वराज सिंह को औपचारिक रूप से राजगद्दी पर बैठाया जाएगा।

सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
इस आयोजन को लेकर सोशल मीडिया पर बहस तेज हो गई है। कुछ लोग लोकतंत्र में राजतंत्र जैसे आयोजन का समर्थन कर रहे हैं, तो कुछ इसे संविधान विरोधी बता रहे हैं।
भरतपुर के पूर्व राजघराने के सदस्य अनिरुद्ध डी. ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर टिप्पणी करते हुए लिखा, “गढ़ ठाकुर का, पंडित ठाकुर का, मेहमान ठाकुर के, सारा खर्चा ठाकुर का, राजतिलक ठाकुर का। इस पर आपत्ति क्यों?” उन्होंने इसे राजपूत समाज की परंपरा बताते हुए समर्थन दिया है।
विरोध भी सामने आया
बीएपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. जितेंद्र मीण ने इस आयोजन की आलोचना करते हुए कहा, रजवाड़े खत्म हो गए हैं, देश संविधान से चलता है। इस तरह के आयोजन बंद होने चाहिए।
डॉ. अंबेडकर अनुसूचित जाति अधिकारी और कर्मचारी संघ ने भी आयोजन का विरोध करते हुए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। कई सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने इसे संविधान के अनुच्छेद 13 का उल्लंघन बताते हुए इसे अनुचित ठहराया।
मिली जानकारी के अनुसार पूर्व विधायक रणधीर भीडर इस कार्यक्रम की रूपरेखा देख रहे हैं। सलूंबर के पूर्व राव देवव्रत सिंह विश्वराज सिंह का तिलक करेंगे। सभी 22 पूर्व उमरावों के साथ अन्य लोग इसमें नजराना देंगे। शाम को विश्वराज सिंह तदयपुर लौटकर सिटी पैलेस में धुणी माता और एकलिंगजी के दर्शन करेंगे। इसके बाद सिटी पैलेस में उन्हें रंगीन पाग पहनाई जाएगी।
इस राजतिलक के बीच सिटी पैलेस में विश्वराज सिंह और उनके चाचा अरविंद सिंह के बीच संपत्ति विवाद भी चर्चा में है। दोनों परिवार सिटी पैलेस के अलग-अलग हिस्सों में निवास करते हैं, और उनके बीच यह विवाद लंबे समय से चल रहा है।
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