Rajasthan Phone Tapping Case: राजस्थान के बहुचर्चित फोन टैपिंग मामले में अशोक गहलोत के पूर्व विशेष कार्य अधिकारी (OSD) लोकेश शर्मा की गिरफ्तारी को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है। शर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपनी गिरफ्तारी पर रोक के लिए दायर याचिका को वापस ले लिया है।
यह याचिका केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में गिरफ्तारी से राहत के लिए थी। हाईकोर्ट की अनुमति के बाद याचिका वापस लेने के कारण, अब गिरफ्तारी पर लगी रोक हट चुकी है, और दिल्ली क्राइम ब्रांच किसी भी समय उन्हें गिरफ्तार कर सकती है।

FIR खारिज कराने के लिए दी थी याचिका
लोकेश शर्मा ने 2021 में इस एफआईआर को खारिज कराने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसके चलते उन्हें अब तक अंतरिम राहत मिली हुई थी। 14 नवंबर को जस्टिस अनीश दयाल की बेंच में मामले की सुनवाई के दौरान शर्मा ने अपनी याचिका वापस ले ली। इस घटनाक्रम के बाद से उनकी गिरफ्तारी पर अंतरिम राहत समाप्त हो गई है।
पुलिस को दिए बयान में पूर्व सीएम का नाम
हाल ही में दिल्ली पुलिस के सामने दिए गए बयान में लोकेश शर्मा ने आरोप लगाया कि फोन टैपिंग में उनकी कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने कहा, तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने मुझे एक पेन ड्राइव में ऑडियो क्लिप्स दिए थे, जिन्हें उनके निर्देश पर मैंने मीडिया को भेजा था। इससे पहले, 25 सितंबर को शर्मा ने दिल्ली क्राइम ब्रांच के समक्ष 7 पन्नों का बयान दर्ज कराते हुए कहा था कि पुलिस को अशोक गहलोत से पूछताछ करनी चाहिए कि कैसे फोन टैप किए गए थे।
शर्मा के मुताबिक, राजस्थान में राजनीतिक संकट के दौरान अशोक गहलोत ने अपने खेमे और सचिन पायलट गुट के विधायकों के फोन सर्विलांस पर रखवाए थे।
कोर्ट में अब तक की कार्यवाही
- मार्च 2021: गजेंद्र सिंह शेखावत ने दिल्ली क्राइम ब्रांच में अवैध फोन टैपिंग के आरोप में एफआईआर (नं. 50/2021) दर्ज कराई थी।
- जुलाई-अक्टूबर 2021: राजस्थान सरकार ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल कर दिल्ली पुलिस की जांच के अधिकार को चुनौती दी थी।
- दिसंबर 2023-अगस्त 2024: राजस्थान सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक मूल वाद दाखिल किया, जिसमें केवल राजस्थान पुलिस को जांच का अधिकार देने की मांग की गई थी। 29 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य को यह वाद वापस लेने की अनुमति दी।
- 27 सितंबर 2024: दिल्ली हाईकोर्ट में राजस्थान सरकार के प्रतिनिधि एएजी शिव मंगल शर्मा ने राज्य का रुख बदलते हुए दिल्ली पुलिस की जांच में सहयोग का बयान दिया, जिसके बाद लोकेश शर्मा ने एफआईआर खारिज करने की याचिका वापस लेने का निर्णय लिया।
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