कुमार इंदर, जबलपुर।  रास्ते कितने भी कठिन क्यों न हो यदि मन में ठान लिया जाए तो फिर मंजिल का मिलना मुमकिन ही है। जी हां कुछ ऐसा ही कर दिखाया है जबलपुर के रहने वाले राजकरण बरूआ ने जिन्होंने अपने 56 साल की उम्र  लगभग 23 से भी ज्यादा बार परीक्षा दिलाई मगर उसमें वह फेल हो गए। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अंत में एमएससी पास करके ही दम लिया। 

 राजकरण ने मुश्किलों को अपनी कामयाबी के रास्ते का कांटा नहीं बनने दिया। तमाम कठिनाइयों और परेशानियों का सामना करते हुए आखिरकार 25 साल के लंबे संघर्ष के बाद उन्होंने एमएससी पास कर ली। जबलपुर में एक सुरक्षा गार्ड की नौकरी करने वाले राजकरण ने 25 साल पहले MSC करने का सपना देखा जो आज जाकर पूरा हो पाया है। आज 55 साल की उम्र में राजकरण ने गणित से एमएससी की डिग्री हासिल की है। 

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अपनी इस कामयाबी के पीछे का कांटों भरा सफर तय करने वाले राजकरण बताते हैं कि उनके लिए सफलता इतनी आसान नहीं थी। 25 साल के इस संघर्ष में कई लोगों ने उनका मजाक उड़ाया तो कई लोगों ने उन्हें अपना पुश्तैनी काम करने की सलाह भी दी। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। 

राजकरण आगे बताते है कि दो साल पहले उन्होंने गणित विषय में एमएससी पूरी की। एमए करने के बाद उन्होने साल 1996 में स्कूलों में जाकर बच्चों को पढ़ाया। इस दौरान कई स्कूलों के शिक्षकों ने उनकी गणित समझाने के तरीके की तारीफ की। जिसके बाद उनके मन में गणित विषय में एमएससी करने का विचार आया। 

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एमए करने के बाद गणित विषय में एमएससी करने के लिए उन्होंने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार के समक्ष 1996 में आवेदन किया। एमएससी प्रथम वर्ष के लिए उन्होंने सबसे पहले 1997 में परीक्षा दी पर वह पास नहीं हो पाये। विगत दस सालों तक पांच में से सिर्फ एक विषय में ही पास होते थे। इसके बाद वह दो विषय में पास होने लगे। कोरोना काल के दौरान साल 2020 में उन्होंने एमएससी प्रथम वर्ष की परीक्षा पास की। इसके बाद उन्होने साल 2021 में एमएससी द्वितीय वर्ष की परीक्षा पूरी की। इस तरह उन्होंने 25 साल के संघर्ष के बाद साल 2021 में गणित विषय में एमएससी की।

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रात में चौकीदारी और दिन में करते हैं घर का काम

राजकरण की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है, लिहाजा वह दिन में लोगों के घरों में बर्तन झाड़ू और खाना बनाने का काम करते हैं और रात के वक्त चौकीदारी करके अपना भरण पोषण करते हैं। राजकरण के पास रहने के लिए अपना कोई घर भी नहीं है। वह जिस बंगले में काम करते है वहीं पर उन्हें रहने के लिए एक छोटा सा मकान मिला हुआ है।

अभी तक कुंवारे हैं राजकरण

56 साल के हो चुके राजकरण बरूआ अभी तक कुंवारे है। 6 साल की उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठ गया। मां दूसरे भाई के साथ अलग रहती है। राजकरण बताते है कि शादी का कभी मौका ही नहीं मिला। जब रिश्ते की बात आती तो लोग बंगले में काम करने वाला कहकर रिश्ता ठुकरा देते थे। यही वजह है कि उनकी अब तक शादी नहीं हो पाई।

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