नई दिल्ली। साउथ के सुपरस्टार रजनीकांत राजनीति में आने की अटकलें तेज़ हो गई हैं. खबर है कि जल्द ही वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने वाले हैं. उनके राजनीति में आने की संभावना को उस समय और बल मिला जब उन्होंने अपने समर्थकों से तैयार रहने को कहा. इसके बाद सालों से राजनीति में जमे-जमाए लोगों के होश फाख्ता हैं
रजनी के घर प्रदर्शन
तमिलनाडु के एक संगठन ने आज उन्हें चैन्नई स्थित घर के बाहर प्रदर्शन किया. इन लोगों का कहना है कि रजनीकांत कन्नड हैं, उन्हें राज्य की राजनीति से दूर रहना चाहिए. इससे पहले टीएमके (तमिल मनीला कांग्रेस) ने रजनीकांत के पॉलिटिक्स में उतरने पर विरोध किया. उनके मुताबिक रजनीकांत कर्नाटक से हैं तो तमिलनाडु से चुनाव क्यों लड़े. शुक्रवार को इसके जवाब में रजनीकांत खुद उतरे. उन्होंने कहा कि वे पूरी तरह से तमिल हैं. तमिलनाडु में रहते हुए 40 साल हो गए हैं.
रजनीकांत ने हाल में कहा था कि राजनीति में आने की उनकी कोई इच्छा नहीं है, लेकिन अगर वह आएंगे तो पैसे के पीछे भागने वाले लोगों को बाहर का रास्ता दिखा देंगे.
1996 में एक अपील पर पलटा दी थी सत्ता
आपको याद दिला दें कि, 1996 में उन्होंने पब्लिकली कहा था कि जनता जयललिता के पक्ष में मतदान ना करें. उन्होंने कहा था कि अगर एआईएडीएमके फिर से चुनी गई, तो भगवान भी तमिलनाडु को नहीं बचा सकता. इसके बाद जयललिता विधानसभा चुनाव हार गई थीं और डीएमके-टीएमसी को भारी जीत मिली थी. तमिल सिनेमा और राजनीति के हमेशा करीबी संबंध रहे हैं. दिवंगत एम जी रामचन्द्रनऔर जे जयललिता के अलावा पटकथा लेखक एम करणानिधि ने भी राज्य की सत्ता संभाली है.