Raksha Bandhan : कलाई पर रक्षा सूत्र बांधने पर भाई बहनों को उनकी रक्षा का वचन देते हैं. रक्षाबंधन (Raksha Bandhan) के दिन अपने वाहन को रक्षा सूत्र बांधें. ऐसा कहा जाता है कि व्यक्ति को कभी दुर्घटना का सामना नहीं करना पड़ता है. धर्म की मान्यताओं के अनुसार सबसे पहले प्रथम पूज्य भगवान गणेश को राखी बांधने का विधान है, जिन बहनों के भाई हैं वो भी भगवान गणेश को राखी बांध सकती हैं, और जिनके भाई नहीं हैं वो भी भगवान गणेश को भाई मान रक्षाबंधन के दिन उन्हें रक्षासूत्र बांध सकती हैं.

Raksha Bandhan

गणपति : गणपति जी प्रथम पूज्य देवता हैं. किसी भी प्रकार का मांगलिक कार्य करने के पूर्व उन्हीं की पूजा करते हैं. इसीलिए सबसे पहले उन्हें ही राखी बांधी जाती है. गणपतिजी की बहनें अशोक सुंदरी, मनसा देवी और ज्योति हैं.

शिवजी : श्रावण माह शिवजी का माह है और इसी माह की पूर्णिमा को रक्षा बंधन का त्योहार मनाते हैं. प्रचलित मान्यता अनुसार कहते हैं कि भगवान शिव की बहन असावरी देवी थीं.

हनुमानजी : हनुमानजी शिवजी के रुद्रावतार हैं. जब देव सो जाते हैं तो शिवजी भी कुछ समय बाद सो जाते हैं और वे रुद्रावतार रुप में सृष्‍टि का संचालन करते हैं. इसीलिए श्रावण माह में हनुमानजी की विशेष रूप से पूजा होती है. सभी संकटों से बचने के लिए हनुमानजी को राखी बांधते हैं.

श्रीकृष्‍ण : शिशुपाल का वध करते वक्त श्रीकृष्‍ण के हाथ से खून बहने लगा तो द्रौपदी ने अपनी साड़ी का पल्लू फाड़कर उनके हाथ में बांध दिया था. इस कार्य के बदले में श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को संकट के समय उसकी रक्षा करने का वचन दिया था.

नागदेव : मनसादेवी के भाई वासुकि सहित सभी नागों की नाग पंचमी के दिन पूजा होती हैं. रक्षा बंधन पर नागदेव को भी राखी अर्पित करने की परंपरा है. नाग देव सभी तरह के सर्प योग और भय से मुक्त करते हैं.

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