सुशील सलाम,कांकेर। जिस तरह समुंद्र पार करने के लिए श्रीराम के वानर सेना ने उनके लिए समुंद्र के बीचों-बीच 30 मील से ज़्यादा लंबा पुल (रामसेतु) का निर्माण किया था. अब ठीक इसी तरह छत्तीसगढ़ के कांकेर में वानर सेनाओं को दुधावा बांध पार कराने के लिए वन विभाग ने 300 मीटर पुल (सेतु) का निर्माण किया है. जिससे बंदरों की टोली सेतु के जरिए सुरक्षित बाहर निकल रहीं हैं.

दरअसल कांकेर जिले के दुधावा बांध के निकट कर्क ऋषि पहाड़ी डोड्रा डोंगरी में करीब 100 से अधिक बंदरों का झुंड तीन महीने से फंस हुआ है. इसकी जानकारी वन विभाग को 12 नवंबर को लगी. जिन्हें निकालने के लिए विभाग की टीम ने 15 नवंबर से 6 दिन तक मिशन मंकी ऑपरेशन चलाया. उन्हें निकालने के लिए कोई रास्ता नहीं दिखा तो ‘रामसेतु’ की तरह ही बांस की लकड़ियों से तीन दिन में अस्थाई पुल का निर्माण कर दिया. इस तरह 19 नवंबर को पुल बनकर तैयार हो गया, लेकिन बांध में पानी ज्यादा होने की वजह से वानर सेना बाहर आने से डर रही थी.

इसके बाद वन विभाग ने जल संसाधन विभाग को बांध में पानी अधिक होने की जानकारी दी. फिर जल विभाग ने बांध से 500 क्यूसेक पानी छोड़ा. आखिरकार उनकी मेहनत रंग लाई और आज 21 नवंबर को सुबह बंदरों का झुंड पुल के जरिए बाहर निकला शुरु हो गया है. वन विभाग के डीएफओ अरविंद से मिली जानकारी के अनुसार 50 से 60 बंदर सुबह पहाड़ से बाहर निकले है. पहाड़ टापू के अंदर और भी बंदर फंसे है या नहीं इसकी जांच की जा रही है.

रेंजर कैलाश सिंह ठाकुर ने कहा कि अस्थाई पुल बनाया गया है उसे हटाया नहीं जाएगा, बल्कि लगे रहेगा. पहाड़ में औऱ भी बंदर फंसे हुए है उन्हें निकाला जाएगा. रेस्क्यू ऑपरेश आगे भी चलता रहेगा.

विभाग की इस रेस्क्यू ऑपरेशन की वजह से अब बंदर सुरक्षित बाहर निकल रहे हैं. इससे पहले जब वानर सेना बाहर नहीं निकल रहे थे, तो पहाड़ी पर फल और सब्जियों के रूप में वन परिक्षेत्र नरहरपुर के वन कर्मी मोटर बोट के जरिये बंदरों के लिए अमरूद, पपीता, सब्जियां, कद्दू आदि नियमित रूप से पहुंचा रहे थे. जिससे वो भूखे न रहे.

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बता दें कि तेज बारिश और जल स्तर बढ़ने के कारण सभी बंदर करीब तीन महीने से दुधावा डेम के टापू में फंसे हुए थे. जिसकी खबर किसी को नहीं थी. बांध में मछली मार रहे मछुआरों ने धमतरी स्थिति जलसंसाधन विभाग को बंदरों के फंसे होने की जानकारी दी. जिन्होंने कांकेर विभाग को सूचना तलब किया था. जिसके बाद बंदरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए वन विभाग ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और मेहनत रंग लाई.