सुप्रिया पांडेय, रायपुर। मंत्री कवासी लखमा के CAA और NRC को काला कानून बताए जाने पर पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने पटलवार किया है. उन्होंने कहा कि असम समझौता राजीव गांधी ने किया था, उसको काला कानून बोलते हैं. मनमोहन सिंह इसको आगे बढ़ाए, उसको काला कानून बोलते हैं, इस तरह अपने प्रधानमंत्रियों के बारे में तो अपशब्द ना बोले. कम से कम NRC के बारे में पढ़ लें, समझ लें, फिर कोई बात करें.

डॉ. रमन सिंह ने कहा कि जिस NRC को वे काला कानून बता रहे हैं वह बतौर प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने असम में आसू के किया था, जिसे मनमोहन सिंह आगे लेकर गए. यह समझौता राजीव गांधी के समय 1984 में केंद्र सरकार, असम की सरकार और असम के छात्र संगठन आसू के समझौता हुआ था. उसी समझौते को आगे बढ़ाने काम हो रहा है. NRC से कांग्रेस के दो-दो प्रधानमंत्री जुड़े रहे. यह कोई पूरे देश का कानून नहीं है, सिर्फ असम के लिए एक रजिस्टर बनाने की बात हुई थी. असम के लोग, वहां के एनजीओ सुप्रीम कोर्ट गए, जहां से मिले निर्देश के बाद रजिस्टर बनाने का काम शुरू हुआ.

डॉ. सिंह ने बताया कि 2018 में फाइनल रजिस्टर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और गाइडलाइंस के आधार पर तैयार हुआ. इसका क्रियान्वयन करने का काम असम में हुआ. यह सिर्फ असम का कानून है, क्योंकि 1971 में बांग्लादेश के जन्म के साथ असम में बड़ी संख्या में बांग्लादेशियों की संख्या बढ़ी. इससे राज्य में असमानता पैदा हो गई. यह असमानता जाति के आधार पर नहीं बल्कि भाषा के आधार पर थी. इसलिए असमी और बांग्लादेशियों के लिए यह रजिस्टर बना है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मंत्री जी को ये मालूम होना चाहिए कि उनके प्रधानमंत्री काला कानून पर हस्ताक्षर करते हैं.

इसे भी पढ़ें : CAA और NRC को मंत्री कवासी लखमा ने बताया आदिवासियों के लिए गले का फंदा, कहा- सपने में नहीं सोचा था इस तरह का कानून आएगा…