Ransomware Attack: भारत में रैनसमवेयर हमलों में 2024 में 55% की तेज़ वृद्धि दर्ज की गई है, जिसमें 98 घटनाएं सामने आईं. मई और अक्टूबर में सबसे अधिक हमले हुए. यह आंकड़े साइबर सुरक्षा पर काम करने वाली NGO साइबरपीस की रिपोर्ट ‘Ransomware Trends 2024: Insights for Global Cybersecurity Readiness’ में सामने आए. रिपोर्ट में इन खतरनाक प्रवृत्तियों पर रोशनी डालते हुए साइबर सुरक्षा उपायों को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया गया है.

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष

साइबरपीस ने इस शोध के लिए उन्नत OSINT (Open Source Intelligence) तकनीकों का उपयोग किया. इसके तहत 166 खतरनाक समूहों की गतिविधियों की निगरानी और 658 सर्वरों/गुप्त संसाधनों से डेटा इकट्ठा किया गया. रिपोर्ट के अनुसार, इन समूहों ने 153 देशों में 5,233 रैनसमवेयर दावे किए. सबसे ज्यादा हमले अमेरिका पर हुए, इसके बाद कनाडा, यूके और जर्मनी जैसे देशों का नंबर आता है.

रिपोर्ट में किलसेक को सबसे सक्रिय साइबर खतरा बताया गया है, जबकि लॉकबिट3 दूसरा सबसे बड़ा खतरा है. रैंसमहब, डार्कवॉल्ट, और क्लॉप जैसे समूहों की गतिविधियां भी मध्यम स्तर पर दर्ज की गईं.

भारत में सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में औद्योगिक क्षेत्र सबसे ज्यादा निशाने पर रहा, जहां 75% घटनाएं दर्ज की गईं. इसके बाद स्वास्थ्य क्षेत्र (12%), वित्त क्षेत्र (10%), और सरकारी क्षेत्र (3%) का स्थान रहा.

इसका प्रभाव:

  • मई में 14 घटनाएं
  • अक्टूबर में 24 घटनाएं

ये आंकड़े भारत में साइबर हमलों के बढ़ते खतरे और उनके मौसमी रुझानों को दर्शाते हैं.

साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के उपाय (Ransomware Attack)

साइबरपीस ने बढ़ते रैनसमवेयर खतरों से निपटने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए हैं:

  • डेटा बैकअप और रिकवरी योजनाएं लागू करें.
  • कर्मचारियों के लिए नियमित जागरूकता कार्यक्रम चलाएं.
  • मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA) का उपयोग करें.
  • उन्नत खतरा पहचान उपकरण अपनाएं.
  • नियमित रूप से कमजोरियों का आकलन करें.

साइबरपीस के संस्थापक और ग्लोबल प्रेसिडेंट मेजर विनीत कुमार ने कहा, “रैनसमवेयर लगातार विकसित हो रहा है और उद्योगों, सरकारों और व्यक्तियों के लिए गंभीर खतरा बनता जा रहा है. हमें खुफिया जानकारी साझा करने, सीमा पार सुरक्षा को मजबूत करने और उभरते खतरों को रोकने के लिए रणनीतियां विकसित करने की जरूरत है.”

रिपोर्ट इस बात पर ज़ोर देती है कि वैश्विक रैंसमवेयर संकट साइबर सुरक्षा की नई तकनिक, सही रक्षा रणनीतियों और सटीक नीति निर्माण में निरंतर नवाचार की मांग करता है.