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लुधियाना. सिविल अस्पताल में अदालत के आदेश पर गर्भपात के लिए भर्ती हुई 13 वर्षीय दुष्कर्म पीड़ित किशोरी को करीब 24 घंटे तक ब्लड ही नहीं मिला. उसके परिजन ब्लड के लिए अस्पताल परिसर में इधर-उधर भटकते रहे, लेकिन किसी ने उनकी एक नहीं सुनी.
देर शाम मामला बिगड़ता देख डॉक्टरों ने किशोरी को ब्लड मुहैया करवा दिया और सेहत विभाग के अधिकारी अपने स्टाफ के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने के बजाय मामले को दबाने की कोशिश में जुट गए.
थाना मेहरबान की पुलिस ने 31 जुलाई को पांचवीं कक्षा की छात्रा से दुष्कर्म के मामले में पड़ोस के कमरे में रहते एक युवक के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी. पुलिस ने किशोरी का मेडिकल करवाया तो पता चला कि वह 20 हफ्ते की गर्भवती थी. मामला कोर्ट पहुंचा तो अदालत ने बच्ची का गर्भपात करवाने के आदेश दिए. इसके बाद पुलिस ने किशोरी को गर्भपात के लिए बुधवार दोपहर को सिविल अस्पताल में भर्ती करवा दिया. उसकी मां ने बताया कि बच्ची में मात्र 6 ग्राम खून था.
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डॉक्टरों ने उसे खून चढ़ाने की बात कही और परिजनों को वीरवार को खून का प्रबंध करने भेज दिया. उसके मुताबिक ब्लड बैंक में लगभग 124 यूनिट खून उपलब्ध होने के बावजूद स्टाफ ने किशोरी को ब्लड नहीं दिया.
जांच अधिकारी एएसआई राधे श्याम ने बताया कि उनके साथ दो एसएमओ सहित कुल 4 डॉक्टरों ने दुर्व्यवहार किया. डीडीआर (रोजनामचे) में दर्ज कर लिया है.
हमने बच्ची को ब्लड उपलब्ध करवा दिया है. पुलिसकर्मी जब मेरे ऑफिस में आया तो काफी गुस्से में था और ऊंची आवाज में बोल रहा था. इस वजह से मामूली कहासुनी हुई है. पुलिसकर्मी या बच्ची के परिजनों के साथ किसी ने भी दुर्व्यवहार नहीं किया है. हमारे स्टाफ के साथ एएसआई ने बदतमीजी की है.
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