दुष्कर्म के बाद पीड़िता ने आरोपी के साथ रहने की इच्छा जाहिर की. लेकिन कोर्ट ने पीड़िता की दलील नजरअंदाज करते हुए आरोपी को 7 साल कैद की सजा सुनाई है. ये सजा गाजियाबाद की एक स्पेशल कोर्ट ने सुनाई है. हालांकि, कोर्ट में पीड़िता ने खुद कहा था कि वो आरोपी के साथ ही रहना चाहती है. लेकिन कोर्ट ने पीड़िता की दलीलों को नजरअंदाज करते हुए आरोपी को सजा सुना दी.

यूपी के गाजियाबाद की कोर्ट ने नाबालिग से बलात्कार करने और उसे 6 महीने की प्रेग्नेंसी में छोड़कर जाने के दोषी को 7 साल कैद की सजा सुनाई है. कोर्ट ने ये फैसला पीड़िता की उस दलील को खारिज करते हुए सुनाया है, जिसमें उसने कहा था कि वो आरोपी के साथ रहना चाहती है. पॉक्सो कोर्ट के स्पेशल जज पीयूष तिवारी ने ये अहम फैसला सुनाया है. उन्होंने साहिबाबाद के रहने वाले अमजद को नाबालिग से बलात्कार के मामले में दोषी ठहराते हुए ये सजा सुनाई है. हालांकि, पीड़िता ने खुद दलील दी थी कि वो घटना के वक्त 18 साल की थी.

ये मामला 2014 का था और 7 साल चली लंबी सुनवाई के बाद इस पर फैसला आया है. सरकारी वकील संजीव बखरवा ने न्यूज एजेंसी को बताया कि पीड़िता कोर्ट में मुकर गई थी और उसने कहा था कि वो अमजद के साथ ही रहना चाहती है, क्योंकि जून 2014 में अमजद की गिरफ्तारी के बाद से पीड़िता उसके परिवार के साथ ही रह रही थी.

 

हालांकि, कोर्ट ने पीड़िता की दलीलों को खारिज करते हुए अमजद को 7 साल कैद की सजा सुनाते हुए उस पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. पीड़िता का कहना था कि वो घटना के वक्त बालिग थी, लेकिन कोर्ट ने पाया कि उस वक्त उसकी उम्र 17 साल थी.  हालांकि, कोर्ट ने दोषी को सीआरपीसी की धारा 428 का फायदा देते हुए उसकी हिरासत की अवधि को उसकी सजा से भी जोड़ दिया. आरोपी 2014 से ही जेल में ही था और उसे इस मामले में कभी जमानत भी नहीं मिली थी.  इस मामले में पीड़िता के पिता ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिनकी ट्रायल के दौरान ही मौत हो गई. कोर्ट ने जुर्माने की रकम से ही अमजद को 35 हजार रुपये पीड़ित परिवार को देने का आदेश भी दिया है.