हत्या और नेक्रोफ़ीलिया (शवों के साथ रेप) के मामले की सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सख्त टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा, “यह हमारे संज्ञान में लाया गया है कि अधिकांश सरकारी और निजी अस्पतालों में मोर्चरी में युवा महिलाओं के शवों के साथ इनकी रखवाली के लिए रखे गए कर्मी रेप करते हैं।”

देश भर के अस्पतालों में महिलाओं के शवों के साथ रेप की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। अस्पताल कर्मी ही महिलाओं और युवतियों के साथ ऐसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। शिकायतें सामने आने के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट ने राज्य के सभी सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों को मुर्दाघरों में सीसीटीवी कैमरे लगाने के निर्देश दिए हैं। आदेशों का पालन कराने के लिए हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 6 महीने का समय दिया है।

दरअसल, हत्या और नेक्रोफ़ीलिया (शवों के साथ रेप) के मामले की सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा, “यह हमारे संज्ञान में लाया गया है कि अधिकांश सरकारी और निजी अस्पतालों में मोर्चरी में युवा महिलाओं के शवों के साथ इनकी रखवाली के लिए रखे गए कर्मी रेप करते हैं।”

कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि इसे ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार के लिए यह सुनिश्चित करने का सही समय है कि ऐसे अपराध न हों, जिससे मृत महिला की गरिमा बनी रहे। न्यायमूर्ति बी वीरप्पा और न्यायमूर्ति वेंकटेश नाइक टी की खंडपीठ ने केंद्र सरकार से भारत में नेक्रोफिलिया के अपराधीकरण के लिए एक नया कानून बनाने का आह्वान करते हुए कहा, “दुर्भाग्य से भारत में, नेक्रोफिलिया के खिलाफ कोई कानून नहीं है।”