सुशील सलाम, कांकेर। केबीकेएस डिस्कवर टीम के रिसर्च टीम को जिले में दुर्लभ प्रजाति की काले और पीले रंग की छिपकली मिली है. स्थानीय भाषा में इसे कालकूत या ऐंहराज डोके कहा जाता है. आमतौर पर यह जीव पूर्वी तट पर पाया जाता है. जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यंत संवेदनशील इस जीव के व्यवहार को देखकर स्थानीय कोयतोर जनजाति के लोग मानसून के आने की भविष्यवाणी भी करते हैं.

केबीकेएस डिस्कवर टीम के रिसर्च टीम जिले के विभिन्न गांवों में जैव-विविधता पंजी में जीवों को दर्ज करने में जुटी है. इस कड़ी में कांनागाव ग्राम बायोडायवर्सिटी बोर्ड के सदस्य व केबीकेएस डिस्कवर टीम के सदस्य राकेश कोर्राम, मोहन हिचामी, खिलेश हिचामी, कार्तिक उइके, संदीप सलाम की टीम ने पीले रंग के धारियों से युक्त छिपकली का अवलोकन किया, इसे स्थानीय भाषा में कालकूत या ऐंहराज डोके कहा जाता है.

क्षेत्र के स्थानीय समुदायों को प्रशिक्षित कर इन जीव जंतुओं के रहवास का गुगल द्वारा लोकेशन टैग करने का कार्य कर रहे फाउंडेशन ऑफ इकोलॉजिकल सिक्यूरिटी से जुड़े प्रर्यावरणविद नारायण मरकाम ने बताया कि यह जीव पुर्वी घाट में आमतौर पर पाया जाता है. इसका वैज्ञानिक नाम Eastern Indian Leopard Gecko है, इसे तेंदुआ छिपकली या कालकूत भी कहा जाता है. इसके बारे में गांव वालों के बीच बहुत से किंवदंती भी प्रचलित है.

स्थानीय गीतों में मिलता है जीव का जिक्र

इसे गोंडी भाषा में एहरांज डोके भी कहते है, क्योंकि इससे शरीर का रंग अंचल में पाऐ जाने वाले एहरांज सांप की तरह पीले धारियों वाली होती है. इससे संबंधित बहुत से स्थानीय रेला पाटा गीतों में भी वर्णन मिलता है . यह जीव जलवायु परिवर्तन व मानसून के प्रति अत्यंत संवेदनशील जीव है, स्थानीय कोयतोर जनजाति के लोग इनके व्यवहार को देखकर मानसून के आने की भविष्यवाणी भी करते है.

मलाजकुडुम झरने के पास मिला दुर्लभ सांप

इसी प्रकार मलाजकुडुम गांव में भी एक दुर्लभ प्रजाति के सांप को रिकार्ड किया गया है, जिसे केबीकेएस डिस्कवर टीम के किशन मंडावी, योगेश नरेटी व ग्रामवासियों की टीम ने प्रसिद्ध मलाजकुडुम झरने के पास रिकार्ड किया है. ग्रीन किलबैक सांप को ढोरिया सांप भी कहते है. यह हरे रंग का होता है, जिसके सिर पर काले पीले रंग की सुंदर वी अक्षर के आकार की धारियां होती है. इसकी मादा सांप 8-12 अंडे देती है. यह प्रजाति भी कांकेर जिले में पहली बार रिकार्ड किया गया है.

बना रहे जैव विविधता पंजी

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सहित देश भर में जैव-विविधता को बचाने के लिए ग्राम बायोडायवर्सिटी बोर्ड का गठन किया जा रहा है. इसके लिए फाउंडेशन आफ इकोलॉजिकल सिक्यूरिटी [FES], नवोदित समाज सेवी संस्था, वनविभाग व स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर जैव-विविधता पंजी बनाने व जीव जंतुओं के संरक्षण के लिए निरन्तर जागरूक कर रही है.