2 नवंबर को इस वर्ष की देवोत्थान एकादशी पर एक अत्यंत दुर्लभ और शुभ योग बन रहा है। त्रिस्पर्शा योग, जिसमें एक साथ एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी तिथियों का संगम होगा। यह संयोग वर्षों बाद बन रहा है और इसे सभी मांगलिक कार्यों, विवाह, गृहप्रवेश तथा धार्मिक अनुष्ठानों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, जब तीन तिथियां एक साथ स्पर्श करती हैं, तो देवताओं की ऊर्जा तीन गुना प्रभावी हो जाती है। इस दिन भगवान विष्णु चार महीने की योगनिद्रा से जागेंगे और पृथ्वी पर पुनः शुभता का संचार होगा। विष्णु जागरण, तुलसी विवाह, दीपदान, व्रत-पूजन और कथा श्रवण के विशेष विधान इस दिन किए जाएंगे।

धर्मशास्त्रों में उल्लेख है कि त्रिस्पर्शा योग में किए गए हर कर्म का फल सामान्य दिनों से कई गुना बढ़ जाता है। इसीलिए इस दिन दान-पुण्य, संकल्प और व्रत पालन को विशेष फलदायी कहा गया है। तुलसी विवाह का आयोजन भी इस दिन शुभ माना गया है, क्योंकि विष्णु और तुलसी के मिलन से सृष्टि में समृद्धि और शांति का संचार होता है।
पंडितों का कहना है कि सूर्योदय से पूर्व स्नान कर, भगवान विष्णु के ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करते हुए तुलसी को जल अर्पित करने से जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं। कहा गया है त्रिस्पर्शा योगे कृतं कर्म, दशगुणं फलप्रदं भवेत।
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