भुवनेश्वर. ओडिशा सरकार ने कोविड की दूसरी लहर को देखते हुए भगवान जगन्नाथ के प्रमुख निवास पुरी को छोड़कर बाकी सभी स्थानों पर रथ यात्रा के उत्सव पर किए जाने वाले कार्यक्रमों में प्रतिबंध लगा दिया गया है. रथ यात्रा के संचालन के लिए पिछले साल जारी सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाएगा.

ओडिशा विशेष राहत आयुक्त प्रदीप के जेना ने कहा कि 12 जुलाई से शुरू होने वाली पुरी रथ यात्रा को भक्तों के बिना केवल सेवकों के साथ आयोजित किया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन किया जाएगा.

बता दें कि ओडिशा विशेष राहत आयुक्त ने कहा, ओडिशा सरकार ने हमेशा जनता की सुरक्षा और भलाई को सर्वोच्च महत्व दिया है. चूंकि यह त्यौहार ओडिशा और इसके बाहर भी बहुत धूमधाम से मनाया जाने वाला एक सामूहिक त्योहार है, इसलिए उत्सव में सार्वजनिक भागीदारी पर प्रतिबंध लगाया जाना आवश्यक है. केवल कोविड की निगेटिव रिपोर्ट के साथ पूरी तरह से टीकाकृत सेवकों को ही अनुष्ठानों में भाग लेने की अनुमति दी जाएगी.

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सुप्रीम कोर्ट ने 18 जून 2020 को कोरोना वायरस महामारी को देखते हुए एहतियात के तौर पर रथ यात्रा पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिशानिर्देश जारी किए थे, जिसमें कर्फ्यू भी शामिल था. ओडिशा सरकार ने कहा था कि सार्वजनिक उपस्थिति के बिना उत्सव का संचालन संभव है, जिसके बाद कोर्ट ने रथ यात्रा निकाले जाने को लेकर रास्ता साफ कर दिया था. कोर्ट ने पुरी में प्रवेश मार्गो को बंद करने और राज्य सरकार को कर्फ्यू लगाने का आदेश दे दिया था.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि रथों को खींचने वाले यात्रा से पहले, यात्रा के दौरान और यात्रा के बाद भी सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) बनाए रखेंगे. वहीं, इन रथों को खींचने के बीच में कम से कम एक घंटे का अंतर होना चाहिए. रथों को खींचने वालें सभी का कोरोना वायरस का टेस्ट होना चाहिए. पुरी रथ यात्रा उत्सव की अवधि के दौरान एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशनों, बस स्टैंडों आदि के सभी प्रवेश बिंदुओं को इस दौरान बंद करने आदेश दिया गया था.