पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। जिले में युक्तियुक्तकरण के तहत 402 शिक्षकों का पदस्थापना आदेश जारी हुआ. सरकार की इस नई नीति से जिले के देवभोग ब्लॉक में अब शिक्षक विहीन स्कूल नहीं रहे, वहीं मैनपुर ब्लॉक में शिक्षकों की समस्या दूर हुई है.

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कलेक्टर भगवान सिंह उईके ने युक्तियुक्तकरण से संबंध में बताया कि सरकार की इस नीति से शिक्षक की समस्या दूर हुई, गुणवत्ता युक्त शिक्षा मिलेगी. उन्होंने बताया कि कुल 214 सहायक शिक्षक ( ई संवर्ग के 81 व टी संवर्ग से 13), 106 शिक्षक (ई संवर्ग से 25 व टी से 81), 6 प्रधान पाठक और 76 व्याख्या वर्ग के शिक्षकों का नवीन पदस्थापना आदेश जारी किया गया है.

जिले में 1 से 3 जून के मध्य विभिन्न शिक्षक संवर्गों के अतिशेष शिक्षकों की ओपन काउंसलिंग के तहत युक्तियुक्तकरण करते हुए रिक्त स्थान वाले शालों में पदस्थापना आदेश जारी की गई. जिले में निर्बाध गति से काउंसलिंग की प्रक्रिया नियमानुसार संपन्न कराने में कलेक्टर भगवान सिंह उइके, अतिरिक्त कलेक्टर अरविंद पांडे का मार्गदर्शन एवं जिला शिक्षा अधिकारी एके सारस्वत के निर्देशन में जिला शिक्षा कार्यालय के सभी अधिकारी-कर्मचारियों का योगदान रहा.

देवभोग-मैनपुर में दूर हुई शिक्षकों की कमी

कलेक्टर उईके ने बताया कि युक्तियुक्तकरण से पूर्व मैनपुर के दूरस्थ क्षेत्रों में 6 शिक्षकविहीन एवं 69 एकल शिक्षकीय शाला थे, जिसमें शिक्षकों की पूर्ति हो गई है, अब सिर्फ 13 शाला एकल शिक्षकीय बच गये हैं. इसी तरह देवभोग ब्लॉक में 4 शिक्षक विहीन तथा 30 एकल शिक्षकीय शाला थे, 6 हाई स्कूल भी एकल शिक्षकीय थे, परंतु फिंगेश्वर ब्लॉक ई स्वर्ग के अतिशेष शिक्षकों से इन पदों की भरपाई हो गई. अब देवभोग ब्लॉक में कोई भी शाला शिक्षक विहीन या एकल शिक्षकीय नहीं रहा. ई संवर्ग में विषयगत रिक्तता न होने के कारण कुछ शिक्षकों की पदस्थापना नहीं की जा सकी, जिनकी सूची उच्च कार्यालय को प्रेषित की जाएगी.

आदेश के उल्लंघन पर होगी कार्रवाई

ओपन काउंसलिंग के माध्यम से तथा शासन के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए पूरी पारदर्शिता के साथ शिक्षकों की कमी वाले शालाओं में विषयवार रिक्तता के आधार पर पदस्थापना की गई तथा तत्काल आदेश जारी कर जॉइनिंग के निर्देश दिए गए हैं. आदेश के उल्लंघन पर कलेक्टर ने कार्रवाई के संकेत दिए हैं. वहीं काउंसलिंग प्रक्रिया में अनुपस्थित एवं असहमत रहने वाले शिक्षकों की पदस्थापना लाटरी पद्धति से की गई. शासन की गाइडलाइन के अनुसार वरिष्ठ शिक्षकों, महिलाओं, दिव्यांगों तथा मान्यता प्राप्त संगठनों के पदाधिकारियों को वरीयता दी गई.