मुंबई.  भारतीय रिजर्व बैंक ने ने रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी है. मौद्रिक नीति समिति ने इसमें 25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की है. इस बढ़ोतरी के बाद रेपो रेट 6 फीसदी से बढ़कर  6.25%. फीसदी हो गया है. मोदी सरकार के 4 साल के कार्यकाल में यह पहली बार है, जब भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में बढ़ोतरी की है. ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद आम आदमी के लिए बैंकों से कर्ज लेना महंगा हो सकता है. इसके साथ ही ईएमआई पर ब्याज का बोझ देखने को मिल सकता है.

रेपो रेट के साथ ही भारतीय रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो रेट को 6 फीसदी कर दिया गया है. मौद्रिक नीति समिति के सभी सदस्यों ने रेपो रेट में बढ़ोतरी करने के पक्ष में वोट किया.

रेपो रेट बढ़ने से बैंक से मिलने वाले कर्ज महंगे हो सकते हैं. ऐसे में आम आदमी जो मकान लेने का सपना देख रहा है उसे इसे पूरा करने के लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी.

रेपो रेट क्या है?

रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर बैंक आरबीआई से लोन उठाते हैं. दरअसल जब भी बैंकों के पास फंड की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए केंद्रीय बैंक से पैसे लेते हैं. आरबीआई की तरफ से दिया जाने वाला यह लोन एक फिक्स्ड रेट पर मिलता है. यही रेट रेपो रेट कहलाता है. आरबीआई की तरफ से रेपो रेट में बढ़ोतरी किए जाने से महंगाई को काबू रखने में मदद मिलती है. जब भी आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है, तो बैंक उससे कम कर्ज लेते हैं. ऐसा होने की वजह से चलन में मनी सप्लाई कम होती है. इससे महंगाई पर नियंत्रण पाने में मदद मिलती है.