नई दिल्ली. रिजर्व बैंक ने अपनी ताजा मॉनेटरी पॉलिसी में रेपो रेट में चौथाई फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है. केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट 6.25 फीसदी से बढ़ा कर 6.5 फीसदी कर दिया है. आरबीआई मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) के फैसले पर महंगाई में बढ़ोतरी का असर साफ दिखा. रिजर्व बैंक के इस फैसले के बाद बैंकों के लिए ब्याज महंगा हो जाएगा और इसका असर महंगे होम और कार लोन के तौर पर दिख सकता है. मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी छमाही में महंगाई दर 4.8 फीसदी रहने की संभावना जताई है. दूसरी तिमाही में महंगाई दर 4.6 फीसदी रह सकती है.
रेपो रेट पर महंगाई का असर
रेपो रेट बढ़ाने में मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी के फैसले में महंगाई का असर साफ दिखा है. कमेटी ने एमएसपी के उम्मीद से ज्यादा बढ़ोतरी का भी जिक्र किया है और इससे महंगाई पर दवाब की बात कही है. जून में खुदरा महंगाई दर 5 फीसदी पर पहुंच गई. मई में यह 4.87 फीसदी थी. महंगाई दर 4 फीसदी के दायरे में रखना आरबीआई की प्राथमिकता है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम में कमी आई है लेकिन अब भी यह 70 डॉलर प्रति बैरल है. रुपया अब भी कमजोर है. 2018 में इसकी कीमत में 7.8 फीसदी की गिरावट आ चुकी है. इन सब का असर पॉलिसी दरों का पर दिखा.
क्या महंगा होगा लोन, बढ़ेगी आपकी EMI?
रेपो रेट बढ़ने से बैकों का लोन महंगा होना तय है. हालांकि आपके डिपोजिट पर भी ब्याज दरें बढ़ेंगी. बैंकों ने लोन की ब्याज दरें मई से ही बढ़ानी शुरू कर दी थीं. साथ ही डिपोजिट दरों में भी बढ़ोतरी शुरू हो गई थी. एसबीआई ने क्रेडिट पॉलिसी मीटिंग से पहले ही लंबी अवधि की डिपोजिट्स पर आधा फीसदी ब्याज बढ़ा दिया है. इसलिए साफ है कि लोन महंगा होगा. हालांकि बैंक में जमा आपकी रकम पर भी ब्याज बढ़ सकता है आरबीआई ने जून महीने की क्रेडिट पॉलिसी के ऐलान के दौरान रेपो रेट चौथाई फीसदी बढ़ोतरी कर दी थी और यह 6.25 फीसदी पर आ गई थी.
क्या होता है रेपो रेट?
रेपो रेट वह दर होती है, जिस पर बैंक आरबीआई से लोन उठाते हैं. जब भी बैंकों के पास फंड की कमी होती है, तो वे इसकी भरपाई करने के लिए केंद्रीय बैंक से पैसे लेते हैं. आरबीआई की तरफ से दिया जाने वाला यह लोन एक फिक्स्ड रेट पर मिलता है. यही रेट रेपो रेट कहलाता है. इसे हमेशा भारतीय रिजर्व बैंक ही तय करता है.