रायपुर। राजधानी रायपुर में डबल रोल का एक बेहद ही अजीबो-गरीब मामला सामने आया है. जिसमें डबल रोल किसी आदमी का नहीं बल्कि नामों का है, एक ही नाम के दो लोग हैं जिनमें एक बेहद सज्जन है और दूसरा अपराधी. लेकिन अपराध की सजा, अपराधी नहीं बल्कि वो भुगतते हैं जो सज्जन हैं. और इस सज्जन व्यक्ति के लिए उसका नाम ही मुसीबत बन गया है. इस मुसीबत की  एक बड़ी वजह राजधानी  रायपुर की पुलिस  भी है.

डंगनिया रायपुर के रहने वाले अजय वर्मा नगर निगम में पदस्थ हैं और शाहरुख की फिल्म माई नेम इज खान की तरह उन्हें भी ये कहना पड़ रहा है कि My name is Ajay Verma and I’m not a criminal.बात सुनने में मजेदार लग सकती है लेकिन है नहीं,क्योंकि अजय वर्मा को  पिछले 25 सालों से अपने नाम की वजह से पुलिस थाना और कोर्ट का चक्कर लगाना पड़ रहा है. अजय को पिछले 25 सालों से उन अपराधों के लिए पुलिस थाना और कोर्ट में पेश होना पड़ रहा है जो गुनाह उन्होंने किया ही नहीं है. बल्कि किसी और अजय वर्मा ने किया है. लेकिन वो अजय वर्मा कौन है ये ना तो उनको पता है ना ही पुलिस इसका पता लगा पाइ है.

पुलिस  पिछले 25 सालों में कइ बार उनके घर में समन ले कर अजय वर्मा  नाम के शख्स को तलाशते हुए पहुंचती है और मोहल्ले के लोग अजय वर्मा के घर के नाम पर इनका पता बता देते है.सबसे हैरानी की बात यह है कि वे हर बार थाने और कोर्ट में इस बात की दलील दे-देकर थक चुके हैं कि वे वो अजय वर्मा नहीं है जिसकी तलाश पुलिस को है. लेकिन बावजूद इसके राजधानी पुलिस उस अजय वर्मा को इन 25 सालों में तलाशने की जहमत नहीं उठा पाई.परेशान अजय वर्मा ने अपनी परेशानी अब कलेक्टर और एसपी के सामने रखने की भी सोची है.

1994 से 2018 तक

इस पूरे मामले की शुरुआत 1994 से हुई जब उनकी उम्र महज 18 वर्ष की थी जब पुलिस अजय वर्मा को ढूंढते-ढूंढते उनके घर पहुंची. उस समय उनका पूरा परिवार सकते में आ गया. जिसके बाद कोर्ट जाकर अजय वर्मा ने अपनी गवाही दी अपनी पहचान भी साबित की. लेकिन मामला वहीं नहीं रुका. अब पुलिस उन्हें लूट के मामले में तलाशती हुई उनके घर पहुंच गई. और इस तरह अजय वर्मा कभी जुआ, कभी सट्टा तो कभी चोरी, तो कभी लूट के उन मामलों में खुद को बेगुनाह साबित करते रहे जो उन्होंने कभी किया ही नहीं.

आज हमारी मुलाकात उनसे गुढ़ियारी थाने में हुई जब अजय वर्मा चोरी के मामले में खुद की बेगुनाही साबित करने पहुंचे थे. राजधानी के लोगों के लिए अजय वर्मा एक जाना-पहचाना नाम है क्योंकि नगर निगम से पहले वो खुद भी एक क्राइम रिपोर्टर रह चुके हैं.

पुलिस को हो रही गलत-फहमी की वजह दरअसल उनके पिता का नाम भी है उनके पिता का नाम स्वर्गीय (बीपी वर्मा भगवती प्रसाद वर्मा) है वहीं पुलिस को जिस अजय वर्मा की तलाश रहती है उसके पिता का नाम डीपी वर्मा तो कभी जगताप की तलाश रहती है.

अजय वर्मा तब से लेकर आज तक राजधानी के कई पुलिस थाना, पुरानी बस्ती, आजाद चौक थाना, डीडी नगर थाना और अब गुढ़ियारी थाना में चक्कर काटते आ रहे हैं.

अब देखना होगा कि पुलिस असली अरोपी अजय वर्मा को कब तक पकड़ पाती है.