रायपुर. अर्श से अचानक फर्श पर पहुंचने वाले रियल स्टेट के कारोबारियों इस बार के आम बजट से काफी उम्मीदें है, उनकी मांगे है कि सरकार द्वारा बिल्डरों को जीएसटी में छूट दी जानी चाहिए. साथ ही आमजनों के लिए ऋण की सुविधा भी उपलब्ध होनी चाहिए. हर मध्यमवर्गीय परिवार का सपना होता है कि वो घर खरीदे, लेकिन ब्याज की दरें काफी ज्यादा है, जिससे उन्हें घर खरीदने के लिए सिर्फ सोचना पड़ता है.

पहले और आज में क्या आया बदलाव

रियल स्टेट के कारोबारियों के मुताबिक, पहले खरीदी बिक्री में 4 प्रतिशत टैक्स देना पड़ता था लेकिन अब उसकी जगह 12 फीसदी जीएसटी का प्रावधान किया गया है, जिसका सीधा असर कारोबार पर पड़ा है और आर्थिक मंदी की स्थिति बनी हुई है. मकानों पर भी जीएसटी लागू होने की वजह से खरीदी-बिक्री पर असर पड़ रहा है. मकानों की रजिस्ट्री की संख्या घटने से आमदनी भी घटकर आधी रह गई है.

ऋभुराज अग्रवाल ने कहा कि रियल स्टेट से जुड़े लोगों को बजट से काफी उम्मीदें रहती है आम जनता घर के सपने देखते हैं. उनके लिए ऋण की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए. सबके घर का सपना साकार होना चाहिए. पिछला बजट ठीक था, लेकिन बैंकों के ऋण की सुविधा है और ब्याज दर कम होने से रियल स्टेट को फायदा मिल सकता है.

आनंद सिंघानिया ने बताया कि सरकार चाहती है कि मकान बने, लेकिन इसके लिए कंजंम्शन बढ़ाने की जरूरत है. इनकम टैक्स में हाउसिंग फाइनेंस के लिए टैक्स की लिमिट बढ़नी चाहिए और ब्याज दर कम होनी चाहिए लेकिन ब्याज दर कम नहीं हो रहा है. टैक्स के स्लैब को 2 लाख से बढ़ाकर 5 लाख तक करना चाहिए.

सुबोध सिघानिया ने कहा कि हम लोग केंद्र सरकार से सिर्फ यही मांग रखते हैं कि मध्यमवर्गीय परिवारों को मकान देने के उसमें और छूट की गुंजाइश करें. साथ ही जीएसटी के प्रतिशत में प्रावधान करने की आवश्कता है जब मध्यमवर्गीय परिवार का मकान बनता है उसमें छूट देने का प्रावधान रखा जाएगा तो बाजार में तेजी आएगी अभी रियल स्टेट मंदी की दौर से गुजर रहा है साथ ही अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए बिल्डरों को जीएसटी में छूट देनी चाहिये और रेट ऑफ इंटरेस्ट में 30 से 40 पैसे की छूट देनी चाहिए