नई दिल्ली। रामजन्म भूमि-बाबरी मस्जिद स्वामित्व विवाद पर आज से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच में इस पर सुनवाई होगी. वहीं कल यानि 6 दिसंबर को विवादित ढांचा ढहाए जाने के 25 साल भी पूरे हो रहे हैं. आज से सुप्रीम कोर्ट में मामले की नियमित सुनवाई होगी. इसमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले और पक्षकारों की दलीलों के मद्देनजर ये तय किया जाएगा कि इस मुकदमे का निपटारा करने के लिए सुनवाई को कैसे पूरा किया जाए.
आज दोपहर से 3 जजों की स्पेशल बेंच में सुनवाई शुरू होगी. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा बेंच में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर हैं. सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल और राजीव धवन और रामलला का पक्ष रखने के लिए हरीश साल्वे हैं.
आज सुप्रीम कोर्ट अयोध्या केस से जुड़े अलग-अलग भाषाओं के ट्रांसलेट किए गए 9000 पन्नों को देखेगा. कोर्ट देखेगा कि डॉक्यूमेंट्स का ट्रांसलेशन पूरा हुआ है या नहीं. ट्रांसलेशन नहीं होने पर पेच फंस सकता है, हालांकि अब सुनवाई नहीं टलेगी. बता दें कि इस मामले से जुड़े 9,000 पन्नों के दस्तावेज और 90,000 पन्नों में दर्ज गवाहियां पाली, फारसी, संस्कृत, अरबी सहित विभिन्न भाषाओं में दर्ज हैं, जिस पर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने कोर्ट से इन दस्तावेज़ों को ट्रांसलेट कराने की मांग की थी.
इधर रामलला विराजमान की ओर से पक्षकार महंत धर्मदास ने दावा किया कि सभी सबूत, रिपोर्ट और भावनाएं मंदिर के पक्ष में हैं. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के फैसले में जमीन का बंटवारा किया गया है, जो न्यायोचित नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारी कोर्ट में दलील होगी कि यहां ढांचे से पहले भी मंदिर था और बाद में जबरदस्ती यहां मस्जिद बनाई गई. इसके बाद फिर मंदिर की तरह वहां रामलला की सेवा पूजा होती रही, अब वहीं रामजन्मभूमि मंदिर है.
इधर शिया वक्फ बोर्ड का कहना है कि विवादित जगह पर राम मंदिर बने और लखनऊ या फैजाबाद में मस्जिद अमन बने.
बता दें कि अयोध्या विवाद में 3 पक्षकार हैं- निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड. 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने फैसला देते हुए कहा था कि विवादित 2.77 एकड़ की जमीन को मामले से जुड़े 3 पक्षों में बराबर-बराबर बांट दिया जाए.
इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा.
क्या है पूरा मामला
- 1528 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण कराया गया.
- 1949 में बाबरी मस्जिद में भगवान राम की मूर्ति रखी गई.
- 1984 में मंदिर निर्माण के लिए एक कमेटी का गठन किया गया.
4. 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल के स्थानांतरण के लिए अर्जी दी.
5. 1961 में यूपी सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ने बाबरी मस्जिद पर कब्जे के लिए याचिका लगाई.
6. 1986 में इसे श्रद्धालुओं के लिए खोला गया और इसी साल बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी भी गठित हुई.
7. 1990 में लालकृष्ण आडवाणी ने देशभर में रथयात्रा निकाली.
8. 1991 में उत्तरप्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर मंदिर निर्माण के लिए ईंटें भेजी गईं.
9. 6 दिसंबर 1992 को हजारों कार सेवकों ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद को गिरा दिया. जिसके बाद देशभर में दंगे फैल गए और कई लोगों की जानें चली गईं.
10. 10 दिन बाद यानि 16 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस की जांच के लिए एमएस लिब्रहान आयोग गठित हुई.
11. 1994 से इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ में केस की सुनवाई शुरू हुई.
12. 1 जनवरी 2002 से तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अयोध्या विभाग शुरू किया.
13. 2002 को अयोध्या के विवादित स्थल पर मालिकाना हक को लेकर इलाहबाद हाईकोर्ट के तीन जजों की पीठ ने सुनवाई शुरू की.
14. 5 मार्च 2003 को इलाहबाद हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को अयोध्या में खुदाई का निर्देश दिया, ताकि मंदिर या मस्जिद का प्रमाण मिल सके. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई के बाद इलाहबाद हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की. इसमें कहा गया कि मस्जिद के नीचे 10वीं सदी के मंदिर के अवशेष प्रमाण मिले हैं. इस रिपोर्ट को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने चैलेंज किया.
15. 2009 में लिब्रहान आयोग ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को अपनी रिपोर्ट सौंपी.
16. 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांटा दिया गया. इसमें एक हिस्सा राम मंदिर, दूसरा सुन्नी वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़े को मिला.
17. 9 मई 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने आपसी सहमति से विवाद सुलझाने की बात कही.
18. इस साल अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती सहित बीजेपी और आरएसएस के कई नेताओं के खिलाफ आपराधिक केस चलाने का आदेश दिया.