गुरु गोबिंद सिंह इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय ने दिल्ली के मेडिकल छात्रों(Medical Student) के लिए एक अहम फैसला लिया है. विश्वविद्यालय ने दिल्ली सरकार(Delhi Government) के निर्देशों के अनुसार, अब MBBS और PG छात्रों के लिए 1 वर्ष की अनिवार्य सेवा लागू करने का निर्णय लिया है. इसका मतलब यह है कि मेडिकल की पढ़ाई पूरी करने के बाद छात्रों को दिल्ली सरकार के अस्पतालों में एक वर्ष तक सेवा प्रदान करनी होगी.

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किस पर लागू होगा यह नियम

सेवा बॉंड के नियम सभी ऑल इंडिया और राज्य कोटा के MBBS, PG, और सुपरस्पेशलिटी पाठ्यक्रम (MD/MS/DM/MCH) के छात्रों पर लागू होंगे. दिल्ली के सरकारी मेडिकल कॉलेजों और संस्थानों में अध्ययन करने वाले सभी छात्र इस नियम के अंतर्गत आएंगे. इस प्रक्रिया की निगरानी मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के डीन की अध्यक्षता में गठित एक समिति द्वारा की जाएगी, और आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त पदों का निर्माण भी किया जा सकता है.

यह सेवा सरकारी मेडिकल कॉलेज/ अस्पतालों में होगी लागू –

1. डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर मेडिकल कॉलेज और हॉस्पिटल, रोहिणी में उच्च गुणवत्ता वाली चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जाती हैं, जो क्षेत्र के निवासियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य केंद्र है.

2. चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय, गीता कॉलोनी में बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल के लिए विशेष सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो माता-पिता के लिए एक भरोसेमंद विकल्प है.

3. हिंदू राव हॉस्पिटल और नॉर्थ डीएमसी मेडिकल कॉलेज, मलकागंज में व्यापक चिकित्सा सेवाएं और शिक्षा का अवसर मिलता है, जो चिकित्सा क्षेत्र में उत्कृष्टता को बढ़ावा देता है.

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किस रूप में सेवा करेंगे

MBBS के छात्र जूनियर रेजिडेंट के रूप में कार्य करेंगे, जबकि PG छात्र सीनियर रेजिडेंट के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान करेंगे. सभी को दिल्ली सरकार के अस्पतालों में नियुक्त किया जाएगा और उन्हें मौजूदा वेतनमान के अनुसार वेतन दिया जाएगा.

बॉन्ड की रकम कितनी होगी

छात्रों को प्रवेश के समय एक सेवा बॉंड भरना अनिवार्य होगा. MBBS के छात्रों के लिए यह बॉंड 15 लाख रुपये का होगा, जबकि PG (MD/MS आदि) छात्रों को 20 लाख रुपये का बॉंड देना होगा. यदि कोई छात्र अनिवार्य सेवा नहीं करता है, तो यह राशि जब्त कर ली जाएगी.

राज्यवार नियम

कर्नाटक में ग्रामीण सेवा के लिए 1 वर्ष की अनिवार्यता है, जिसमें MBBS के लिए 15 लाख और डिप्लोमा के लिए 20 लाख रुपये का बॉंड होता है.

हिमाचल प्रदेश में यह अवधि 2 वर्ष और बॉंड राशि 40 लाख रुपये निर्धारित की गई है.

उत्तराखंड में भी 2 वर्ष की सेवा अनिवार्य है, लेकिन यहां की बॉंड राशि 2.5 करोड़ रुपये है, जो देश में सबसे अधिक है.