भिण्ड. मध्यप्रदेश का एक ऐसा जिला जिसके माथे पर बेटियाें को जन्म होते ही मारने का कलंक लगा था. जनगणना-2011 के आकंड़े में भी भिण्ड मध्यप्रदेश का सबसे कम लिंगानुपात वाला जिला था. देश ही नहीं एशिया में भी लिंगानुपात में सबसे नीचे रहा यह जिला अब एक नई इबारत लिख रहा है. बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ वाले जिलों में सबसे अधिक कन्या जन्म भिण्ड जिले में ही हुआ है. भिण्ड में प्रति एक हजार बालकों पर जहाँ मात्र 896 ही बेटियाँ थीं, वह वर्ष 2017 में 929 पहुँच गई हैं.
भिण्ड कलेक्टर टी इलाया राजा के निर्देश पर मातृ एवं शिशु मृत्यु दर की समीक्षा कर मृत्यु के कारणों का विशेष अध्ययन कर ऐसे गाँवों को चिन्हित किया गया. जिनमें बालिकाएँ जन्म के 5 वर्ष तक की आयु तक जीवित नहीं रहती थीं. इन गाँवों पर विशेष ध्यान दिया गया और ये प्रयास सुखद परिणाम लेकर आये.
गौरतलब है कि एशिया में जन्म के बाद सबसे अधिक लिंगानुपात अंतर के लिये बदनाम भिण्ड जिले के ग्राम खरौआ के सरपंच रहे रामअख्तियार सिंह गुर्जर ने पूर्व सरपंच सूर्यभान सिंह गुर्जर द्वारा अपनी बेटी को मारे जाने की सूचना पुलिस को दी. देश में यह पहली बार था, जिसमें नवजात शिशु हत्या पर भारतीय दण्ड संहिता की धारा-302 के तहत पहली बार प्रकरण दर्ज किया गया था.