अन्न जीवन का प्रमुख आधार है. इसलिए शास्त्रों में अन्नदान को प्राणदान के समान माना गया है. अन्नदान को सर्वश्रेष्ठ और प्रभूत पुण्यदायक माना गया है. यह धर्म का प्रमुख अंग है. अन्नदान के बिना कोई भी जप, तप या यज्ञ आदि पूर्ण नहीं होता है.
अन्नदान से विशिष्ट फल की प्राप्ति
जो व्यक्ति प्रतिदिन विधिपूर्वक अन्नदान करता है वह संसार के समस्त फल प्राप्त कर लेता है. अन्नदान की कई विधियां हैं. जैसे – भूखे व्यक्ति को भोजन कराना या पशु-पक्षियों को चारा-दाना देना, या व्रत या त्योहार आदि में भोजन कराना, या फिर तीर्थस्थलों मे भिक्षुकों को भोजन कराना आदि.
सामर्थ्य और सुविधा के अनुसार करें दान
पके हुए अन्न अर्थात् भोजन का दान करना अधिक श्रेयस्कर होता है. अपनी सामर्थ्य और सुविधा के अनुसार कुछ न कुछ अन्नदान अवश्य करना चाहिए. इससे परम कल्याण की प्राप्ति होती है. जब किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि के क्षेत्र में चन्द्रमा स्थित हो और शनि से दृष्ट भी हो या शनि और मंगल दृष्ट हो तो जातक विरक्ति का जीवन व्यतीत करता है. लेकिन इसके बाद भी संसार में ख्याति प्राप्त करता है.
जीवन में सादगी और अनुशासन का करें पालन
जब किसी व्यक्ति के लग्न, तीसरे, अष्टम या भाग्य स्थान में शनि और उस पर गुरू की किसी भी प्रकार से दृष्टि हो तो ऐसे लोग भोग विलास से दूर रहकर सादगीपूर्ण जीवन बिताते हैं. साथ ही यहीं ग्रह योग उन्हें जीवन में सफलता और मान भी प्रदान करता है. अतः किसी व्यक्ति को जीवन में सफलता के साथ मान भी प्राप्त करना हो तो अपने जीवन में सादगी और अनुशासन का पालन करना चाहिए. साथ ही शनि और गुरू की शांति के साथ मंत्रजाप और दान करना चाहिए.
जरुरतमंदो को करें अन्नदान
विशेष रूप से अन्न का दान जीवन में सम्मान का कारक होता है. अतः जरूरतमंदों को अन्न का दान करना चाहिए. अन्न दान से समस्त पापों की निवृत्ति होकर इस लोक और परलोक में सुख प्राप्त होता है.
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