कर्ण मिश्रा,ग्वालियर। मध्यप्रदेश में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं 2018 से 2023 के इस कार्यकाल का साढ़े चार साल बीत चुका है साल खत्म होते-होते जनता फिर अपनी सरकार चुनेगी यानी एक बार फिर जनप्रतिनिधियों की आवाम की उम्मीदों पर खरा उतरने की बारी है एमपी की 230 विधानसभा सीटों में मौजूदा हालात क्या हैं, क्षेत्र की क्या स्थिति है, कौन सा विधायक कितने पानी में है ? इन सभी का जवाब अब विधायक जी का रिपोर्ट कार्ड (vidhayak ji ka Report Card) देगा. लल्लूराम डॉट कॉम आपको सूबे के सभी विधायकों की परफॉमेंस और उनके क्षेत्रों की जमीनी हकीकतों के बारे में बताने जा रहा है. विधायक जी का Report Card में आज बात ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट की.
ग्वालियर पूर्व विधानसभा
ग्वालियर जिले की ग्वालियर पूर्व विधानसभा क्षेत्र की बात की जाए, तो इसे 2003 विधानसभा चुनाव तक मुरार विधानसभा के नाम से जाना जाता था. 2008 के परिसीमन के बाद इसे ग्वालियर पूर्व विधानसभा के रूप में पहचान मिली है. वर्तमान में इस विधानसभा पर कांग्रेस के विधायक के रूप में डॉ सतीश सिकरवार काबिज हैं. सतीश सिकरवार को क्षेत्र की जनता ने 2020 में हुए उपचुनाव के दौरान विधायक बनाया है. सतीश शिकरवार इससे पहले 2018 में BJP के टिकट पर चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें कांग्रेस के टिकट पर चुनावी मैदान में उतरे मुन्नालाल गोयल ने हरा दिया था. 2020 में हुए उपचुनाव से पहले सिंधिया समर्थक मुन्नालाल गोयल कांग्रेस छोड़ BJP में शामिल हो गए और उन्हें BJP से टिकट भी मिल गया. इस बात से खफा सतीश सिकरवार ने BJP छोड़ कॉंग्रेस का हाथ थाम लिया. 2020 उपचुनाव में सतीश सिकरवार ने 8555 वोट से मुन्नालाल गोयल को हरा दिया और विधायक बन गए.
जातिगत समीकरण
SCST 80 हजार, ब्राह्मण 45 हजार, वैश्य 44 हजार, क्षत्रिय 42 हजार, यादव 20 हजार, मुस्लिम 15 हजार, गुर्जर 15 हजार, कुशवाह 15 हजार, बघेल 12 हजार, किरार 6 हजार, कौरव 5 हजार, सोनी 5 हजार और अन्य समाज 54 हजार वोटर हैं.
विधानसभा की खासियत
यह ग्वालियर जिले की सबसे बड़ी विधानसभा है. ग्वालियर पूर्व की यह सीट कभी भाजपा के सबसे मजबूत किले के रूप में जानी जाती थी, लेकिन आज यहाँ कॉंग्रेस का कब्जा है. विधानसभा की खासियत का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि ग्वालियर चंबल अंचल के दो दिग्गज नेता जिनमें केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों ही इस विधानसभा के मतदाता हैं. इसके साथ ही वीआईपी ऑफिस से लेकर अधिकारियों के आवास भी इसी विधानसभा में मौजूद है. इस विधासभा इलाके में एक ओर संपन्नता है तो दूसरी ओर गरीबी भी है. जिला मुख्यालय, संभागीय मुख्यालय सहित बड़े सरकारी दफ्तर भी इसी विधानसभा में आते है. ग्वालियर जिले के साथ ही ग्वालियर चंबल अंचल का सबसे बड़ा दाल बाजार और लोहिया बाजार भी इसी विधानसभा में आता है.
पर्यटन एवं धार्मिक क्षेत्र
पर्यटन की दृष्टि से ग्वालियर पूर्व विधानसभा में सिंधिया राजवंश का जय विलास पैलेस और उसका रॉयल म्यूजियम आकर्षण का केंद्र रहता है. मोती महल और मध्य भारत प्रांत की पहली विधानसभा भी यही मौजूद है. इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. मेला ग्राउंड में ऐतिहासिक व्यापार मेला भी ग्वालियर के साथी ग्वालियर चंबल संभाग के लोगों के लिए बहुत आकर्षण का केंद्र रहता है. इसके अलावा भी कई अन्य पर्यटन की जगह है. धार्मिक क्षेत्र की बात करें तो इस विधानसभा में 400 साल से ज्यादा प्राचीन अचलेश्वर महादेव मंदिर है. सिंधिया राजवंश की कुलदेवी मांढरे की माता का मंदिर भी बहुत खास है, जहां नवरात्रि में मेला भी लगता है. नहर वाली माता के दरबार मे भी दूर दराज से भक्त आते है.
ग्वालियर दक्षिण विधानसभा के मतदाता
ग्वालियर पूर्व विधानसभा में कुल मतदाता 3 लाख 26 हजार 026 है. जिसमें पुरुष 1 लाख 73 हजार 690, महिला 1 लाख 52 हजार 320 और थर्ड जेंडर 16 है. जेंडर रेशों 877 है.
ग्वालियर पूर्व विधानसभा कब अस्तित्व में आई ?
यह विधानसभा 2008 में हुए परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई. इससे पहले इस विधानसभा को मुरार विधानसभा के नाम से जाना जाता था.
विधानसभा में कौन विधायक किस पार्टी से जीते
मुरार विधानसभा (ग्वालियर पूर्व विधानसभा)
- 1972 में कांग्रेस पार्टी के राजेन्द्र सिंह को 24714 वोट, वहीँ भारतीय जन संघ के नरेश जौहरी को 19450 वोट मिले. राजेन्द्र सिंह 5264 वोट से जीते थे.
- 1977 में जनता पार्टी के माधव राव शंकर राव इंद्रापुरकर को 18401 वोट मिले, वही काँग्रेस के राजेन्द्र सिंह को 13061 वोट मिले. माधव राव शंकर राव इंद्रापुरकर 5340 वोट से जीते.
- 1980 में कॉंग्रेस के कप्तान सिंह को 12036 वोट, वही BJP से ध्यानेन्द्र सिंह को 9208 वोट मिले थे. 2828 वोट से CONG के कप्तान सिंह जीते.
- 1985 में BJP के ध्यानेन्द्र सिंह को 21380 और कांग्रेस के गिरवर सिंह को 12961 वोट मिले. 8419 वोट के अंतर से ध्यानेन्द्र सिंह जीते.
- 1990 में BJP के ध्यानेन्द्र सिंह को 23488 और कांग्रेस के रामवरन सिंह को 18019 वोट मिले, 5469 वोट के अंतर से ध्यानेन्द्र सिंह जीते.
- 1993 में रामवरन सिंह कांग्रेस को 28599 और BSP के फूल सिंह बरैया को 23402 वोट मिले. 5197 वोट से रामवरन सिंह जीते.
- 1998 में ध्यानेन्द्र सिंह BJP को 40969 और कांग्रेस के रामवरन सिंह गुर्जर को 23192 वोट मिले, 17777 वोट से ध्यानेन्द्र सिंह जीते.
- 2003 में ध्यानेन्द्र सिंह BJP को 30866 और SP के मुन्नालाल गोयल को 18852 वोट मिले. 12014 वोट से ध्यानेन्द्र सिंह जीते.
ग्वालियर पूर्व विधानसभा (परिसमीन के बाद)
- 2008 में BJP के अनूप मिश्रा को 37105 और CONG के मुन्नालाल गोयल को 35567 वोट मिले. 1538 वोट से अनूप मिश्रा जीते.
- 2013 में BJP की माया सिंह को 59824 वोट और CONG के मुन्नालाल गोयल को 58677 वोट मिले, 1147 वोट से माया सिंह जीती.
- 2018 में कांग्रेस के मुन्नालाल गोयल को 90133 और BJP के सतीश सिकरवार को 72314 वोट मिले, 17819 वोट से मुन्नालाल गोयल जीते.
- 2020 उपचुनाव में कांग्रेस के सतीश सिकरवार को 75342 औऱ BJP के मुन्नालाल गोयल को 66787 वोट मिले. 8555 वोट से सतीश सिकरवार जीते.
अभी तक चुनाव में राजनीतिक दलों की स्थिति
अब तक कुल 7 बार BJP, 5 बार CONG को जीत हासिल हुई है.
कुछ विशेष परेशानियां
इस विधानसभा के नए विकसित क्षेत्रों में सड़क, सीवर की समस्याएं आज भी हैं. तिघरा बांध का पानी यहां नहीं पहुंचता. पूरा फोकस केवल मुख्य मार्गों पर ही रहता है. कॉलोनियों, छोटी बस्तियों की सड़कें बदहाल हैं. अवैध कॉलोनी भी यहीं ज्यादा विकसित हुईं हैं. यही कारण है कि अवैध कॉलोनियों मे विकासकार्य नहीं हो पाते है. जिसके कारण लोगों में हमेशा आक्रोश देखा जा सकता है. गंदगी और उफनते हुए सीवर टैंक कहीं भी देखने को मिल जाती है. सड़कें दुरुस्त नहीं हो सकी हैं. समस्याओं का अंबार है. कुछ लोगों का यहां तक कहना है कि जनसुनवाई में समस्याओं के निराकरण के निर्देश भी दिए जा रहे हैं. लेकिन समाधान कितनों का होता है ये देखने वाली बात है. सड़क और पानी की समस्या तो यहां जस की तस बनी हुई है. अगर इन दोनों समस्याओं का सुधार लिया जाए तो शहर की आधी समस्या का समाधान हो जाएगा.
सरकार बनने पर विकास के पहिए को तेजी से आगे बढ़ाएंगे- विधायक
ग्वालियर पूर्व विधानसभा से कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार का कहना है कि उपचुनाव 2020 में क्षेत्र की जनता ने उन्हें चुनकर विधानसभा तक पहुंचाया है. क्षेत्र में विकास के काम के लिए वह लगातार प्रयास कर रहे है. समस्याओं के समाधान के लिए भी वह हमेशा अपने मतदाताओं के लिए उपलब्ध रहते है. कुछ बड़े काम क्षेत्र में होना जरूरी हैं. इसके लिए हर स्तर पर मांग रखी है. लेकिन कांग्रेस का विधायक होने के चलते उनकी मांगों पर गौर नहीं किया जा रहा है. 2023 के चुनाव में यदि जनता एक बार फिर मौका देती है, तो सरकार बनने पर ग्वालियर पूर्व विधानसभा के विकास के पहिए को तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा.
BJP में सूरत और सीरत कुछ और होती- मुन्नालाल गोयल
ग्वालियर पूर्व विधानसभा से 2020 उपचनाव में बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े मुन्नालाल गोयल का कहना है कि अगर उपचुनाव में यहां से भाजपा जीती होती तो इस विधानसभा की सूरत और सीरत कुछ और होती. मुरार में नमामि गंगे प्रोजेक्ट से मुरार नदी का पूरा स्वरूप बदल जाता है. इसी तरह स्वर्णरेखा नदी भी स्वर्ण जैसी होती हुई दिखती. आज भी चुना हुआ जनप्रतिनिधि ना होने के बावजूद सीएम शिवराज सिंह चौहान से ग्वालियर पूर्व विधानसभा के विकास कार्यों को लेकर वह लगातार काम कर रहे हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में यदि संगठन एक बार फिर मौका देता है, तो जनता के विश्वास पर खरा उतरते हुए बीजेपी को इस सीट पर जीत दिलाते हुए मध्य प्रदेश में सरकार भी बनाई जाएगी. विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं को हल करते हुए विकास कामों को आगे बढ़ाया जाएगा.
BJP और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला
2023 के विधानसभा चुनाव में भी सीधा मुकाबला BJP और कांग्रेस के बीच ही देखने को मिलेगा. यहां पर दल बदल का खेल भी सियासी समीकरणों को प्रभावित करता है. ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट कई मायनों में बहुत अनोखी सीट है. यहां पर कब किसके साथ उलटफेर हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता है. जनता किसको राजा बना दे और किसको रंक यह सियासी पंडित भी नहीं भांप पाते हैं. ग्वालियर पूर्व सीट पर जातिगत राजनीति कारगर साबित नहीं होती है, लेकिन सिंधिया का गढ़ माने जाने वाले इस इलाके में ब्राह्मण, ओबीसी, क्षत्रिय और वैश्य वोटर्स निर्णायक भूमिका में होते हैं. उपचुनाव के नतीजे भाजपा के लिए तो चिंता का सबब बने ही उससे भी ज्यादा यह सिंधिया के लिए झटका साबित हुए थे. उसके बाद रही सही कसर सतीश सिकरवार की पत्नी शोभा सिकरवार ने 57 साल बाद नगर निगम में कांग्रेस को जिताकर पूरा कर दी.
कौन कौन हैं दावेदार
2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में जहां भाजपा के लिए कई प्रत्याशी मैदान में है. जिनमें सिंधिया समर्थक मुन्नालाल गोयल का नाम सबसे मजबूत है. वही जयसिंह कुशवाह, देवेश शर्मा, प्रवीण अग्रवाल वर्तमान मे चैंबर अध्यक्ष है. आशीष अग्रवाल वर्तमान में प्रदेश बीजेपी मीडिया प्रभारी है. पीताम्बर सिंह पूर्व मंत्री माया सिंह के बेटे भी दावेदारों में शामिल है, तो वहीं कांग्रेस की तरफ से केवल एक ही चेहरा सतीश सिकरवार मैदान में दिखाई दे रहे हैं.
क्या है विधायक की स्थिति ?
जनता से किये वादों और उनको पूरा करने की स्थिति पर गौर किया जाए, तो विधायक जी का पलड़ा कमजोर नजर आया है, लेकिन जनता के बीच उनकी पकड़ मजबूत पाई गई है. क्षेत्र के काफी लोग ऐसे भी मिले, जिन्होंने विधायक के काम के दावे पर प्रश्नचिन्ह लगाया है. ऐसे में देखना होगा कि 2023 के विधानसभा चुनाव में जनता क्या एक बार फिर सतीश सिकरवार को टिकट मिलने पर मौका देगी या इस बार कुछ अलग करने के मूड में जनता तैयार है.
Read more- Health Ministry Deploys an Expert Team to Kerala to Take Stock of Zika Virus
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- उत्तर प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें
- खेल की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
- मनोरंजन की बड़ी खबरें पढ़ने के लिए करें क्लिक