कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। देशभर में गणतंत्र दिवस की तैयारी जोरों पर है. हर चौक-चौराहे को तिरंगा से सजाया जा रहा है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश की आनबान शान राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा कैसे और कहां तैयार किया जाता है. आज हमे आपको इस बारे डिटेल से बताने जा रहे हैं.

ग्वालियर के लिए गौरव की बात है कि कर्नाटक के हुबली शहर के बाद ग्वालियर देश में ऐसा शहर है. जहां राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे तैयार किए जाते हैं. ग्वालियर में बना तिरंगा अब पूरे उत्तर भारत में सप्लाई होने लगा है. ग्वालियर के मध्य भारत खादी संघ द्वारा जो तिरंगे तैयार किए जाते हैं उसका धागा भी हाथों से इसी केंद्र में तैयार किया जाता है. केंद्र की स्थापना साल 1925 में चरखा संघ के तौर पर हुई थी.

1956 में मध्य भारत खादी संघ को आयोग का दर्जा मिला. ग्वालियर में बने तिरंगे देश के 15 से ज्यादा राज्यों में सप्लई होते हैं. सलाना 20 हजार तिरंगे बनाते हैं, लेकिन इस साल खादी संघ ने रिकॉर्ड तोड़ तिरंगा को तैयार कर सप्लाई किया है। इस बार तिरंगे की मांग पांच गुना ज्यादा बढ़ गई है. लिहाजा राष्ट्रीय ध्वज निर्माण एजेंसियो ने भी बड़ी मात्रा में तिरंगा बनाए. ग्वालियर में बने तिरंगे की देशभर में मांग है.

अलग-अलग स्थानों के लिए झंडे का आकार भी अलग-अलग होता है

  • सबसे छोटा 6:4 इंच का तिरंगा मीटिंग,कॉन्‍फ्रेंस आदि में टेबल पर रखा जाता है.
  • VVIP कारों के लिए इसका आकार 9:6 इंच होता है.
  • राष्‍ट्रपति ,VVIP ,एयरक्राफ्ट और ट्रेन के लिए इसका आकार 18:12 इंच हाेता है.
  • कमरों में क्रॉस बार पर दिखने वाले झंडे 3:2 फुट के होंगे.
  • बहुत छोटी पब्लिक इमारत पर लगने वाले झंडे 5.5:3 फुट के होंगे.
  • शहीद सैनिकों के पार्थिव शरीर पर लिपटे तिरंगे का आकार 6:4 फुट होता है.
  • संसद भवन और मध्यम साइज वाली सरकारी इमारतों के लिए इसका आकार 9:6 फुट होगा.
  • गन कैरिएज, लाल किले और राष्‍ट्रपति भवन के लिए 12:8 फुट रखा गया है.
  • बहुत बड़ी सरकारी इमारत के लिए तिरंगे का आकार 21:14 फुट है.

जो तिरंगे ग्वालियर में तैयार होते हैं, वो राष्ट्रीय ध्वज मानकों के आधार पर होता है. तिरंगा झंडा के लिए धागा भी इसी केंद्र पर हाथों से तैयार किया जाता है, जिसमें ताना बाना की मजबूती से लेकर रंग तक राष्ट्रीय मानक के आधार पर रहता है. तिरंगे की सिलाई के दौरान कपड़े का मेजरमेंट, रंगों की मजबूती, सहित अन्य मानकों को जांचने के लिए मशीनों से टेस्टिंग की जाती है. एक दर्जन से ज्यादा टेस्टिंग से गुजरने के बाद तिरंगा तैयार होता है. तिरंगा बनाने वाले भी खुश हैं कि इस साल तिरंगा को लेकर लोगों में भारी क्रेज बढ़ा है. साथ ही इस बात का गर्व महसूस होता है कि वो देश की शान तिरंगा बनाने का काम करते हैं.

कई चरणों के बाद बनकर तैयार होता है तिरंगा

  • धागा बनाना
  • कपड़े की बुनाई
  • ब्‍लीचिंग व डाइंग
  • चक्र की छपाई
  • तीनों पटिृयों की सिलाई, आयरन करना और टॉगलिंग (गुल्‍ली बांधना)

राष्ट्रीय ध्वज की क्वालिटी को BIS चेक करता है. हर सेक्‍शन पर कुल 18 बार तिरंगे की क्वालिटी चेक की जाती है. देश की आनबान तिरंगा बनाने का गौरव गवलियर को मिला है, जिससे हर किसी को गर्व महसूस होता है.

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