पिथौरा। रोजी-रोटी की तलाश में महाराष्ट्र के गन्ना फैक्ट्री में काम करने गए मजदूरों ने जब फैक्ट्री मालिक से मजदूरी मांगा तो बंधक बना लिया. फिर मारपीट कर जान से मारने की धमकी दी गई, जिससे सभी मजदूर डरे सहमे थे. सभी किसी तरह जान बचाकर अपने घर वापस लौटना चाह रहे थे. किसी तरह उन्होंने इसकी सूचना अपने परिजनों को दी. करीब ढाई महीने से बंधक बने सभी मजदूरों को पिथौरा व पुणे क्षेत्र में काम करने वाले स्वयंसेवी संस्था एवं एक अधिकारी की मदद से सकुशल रेस्क्यू किया.

गौरतलब है कि लॉकडाउन खत्म होने के बाद ठेकेदार के आदमी मजदूरों को लेने पहुंचे. 12 हजार रुपए महीने पगार का लालच दिया. इस झांसे में आकर बारनवापारा क्षेत्र के ग्राम चरौदा सेलीलावती विश्वकर्मा (23), सुशीला विश्वकर्मा (42) लक्ष्मण विश्वकर्मा (45) पिंकी विश्वकर्मा (18) भारती विश्वकर्मा (17), सोनाखान के समीप ग्राम अर्जुनी से टिकेश्वर बढ़िया (17) अशोक बरिहा (20) नंद कुमार विश्वकर्मा (19) एवं अनुसूया विश्वकर्मा (22) तथा भोकलु डीह से शशि कुमार सिदार (33) एवं कैलाशगढ़ से वीर नारायण विश्वकर्मा (27) कुल 12 लोग 1 अगस्त को फैक्ट्री के संचालक के द्वारा मुहैया कराए गए वाहन से काम करने के लिए रवाना हुए थे.

मजदूरों के मुताबिक किसी तरह सभी मजदूर जंगलों के बीच संचालित गन्ना फैक्ट्री में पहुंचे तो वहां उनके रहने के लिए मकान नहीं था. पीने के लिए डबरी का पानी का उपयोग करना पड़ता था. सभी मजदूर से फैक्ट्री मालिक का मैनेजर दबाव बनाकर 15 से 16 घंटे तक काम करवाता था तथा उन्हें बताया जाता था कि जिस दिन काम नहीं करोगे उस दिन का मजदूरी नहीं दिया जाएगा. इस तरह कोई ढाई महीने में उन्हें महीने भर ही काम करवाया गया और सभी मजदूरों के हिसाब में यह बताया गया कि खुराकी और घर से फैक्ट्री तक के जाने वाले वाहन का खर्चा भी इनके मजदूरी में से ही काट लिया गया तथा उन्हें बताया गया कि इसके बावजूद उन्हें 18 हजार रुपए और लेना बताया गया. तथा 18 हजार को छूटने के लिए उन्हें रोककर और काम कराया जाता रहा.

बंधक बने सभी मजदूर ने पिथौरा के स्वयंसेवी संस्था दलित आदिवासी मंच की संचालिका राजिम तांडी से फोन से संपर्क कर अपनी आपबीती बताई और उन्हें किसी तरह छुड़ा लेने की गुहार लगाई. संस्था ने पुणे के स्वयंसेवी संस्था के द्वारा प्रशासनिक अधिकारियों से संपर्क कर स्थिति से अवगत कराया तथा वहां के एस डी एम के साथ मौके पर पहुंचकर सभी मजदूरों से जानकारी हासिल करते हुए मजदूरों को उनके ढाई महीने के मजदूरी का भुगतान करवाया गया तथा शासन के व्यय से उन्हें सकुशल उनके गांव तक वापस भेजने की भी व्यवस्था की गई.

जान से मार देने की भी धमकी

बंधक बने मजदूरों ने किसी तरह मोबाइल से वीडियो बनाकर आप बीती बताते हुए मदद की गुहार लगाई थी. इससे बौखलाए फैक्ट्री के मालिक ने मजदूरों को जान से मार देने की धमकी दी. मजदूरों से पूछा कि वीडियो किसने बनाकर वायरल किया है. जब उसे जानकारी नहीं मिली तो उसने गुस्से में एक महिला के मोबाइल को तोड़ दिया. तथा सभी मजदूरों से दबाव बनाकर अपने पक्ष में वीडियो बनवा कर अपने पास सुरक्षित रख लिया ताकि किसी तरह के प्रशासनिक दांवपेच में ना फंसे.