कई कंज्यूमर्स ने शिकायत दर्ज कराई है कि छोटे रेस्टोरेंट में उनसे GST वसूला जा रहा है लेकिन इस कर को सरकारी खजाने में जमा नहीं कराया गया और न ही इन रेस्टोरेंट्स ने GST रिटर्न दाखिल किया है.
वस्तु एवं सेवा कर (GST) अधिकारियों की नजर उन छोटे रेस्टोरेंट और बी2सी कारोबारियों पर है जो कि ग्राहकों से कर वसूली करते हैं लेकिन उसे सरकारी खजाने में जमा नहीं करा रहे हैं. ऐसे मामलों से निपटने के लिए GST अधिकारी एक प्रणाली भी तैयार करने में लगे हैं.
नई दिल्ली. कई कंज्यूमर्स ने मोबाइल ऐप इरिस पेरिडॉट के जरिए शिकायत दर्ज कराई है कि छोटे रेस्टोरेंट में उनसे GST वसूला जा रहा है लेकिन इस कर को सरकारी खजाने में जमा नहीं कराया गया और न ही इन रेस्टोरेंट्स ने GST रिटर्न दाखिल किया है.
ऐप के बारे में
इस ऐप को कई ग्राहकों ने डाउनलोड किया है. यह ऐप GST सर्विस प्रोवाइडर द्वारा विकसित किया गया है. इसमें कारोबारी या सर्विस प्रोवाइडर के GST पहचान संख्या को स्कैन कर यह पता किया जा सकता है कि उस कारोबारी ने रिटर्न दाखिल किया है अथवा नहीं.
कंपोजीशन स्कीम लेने वाले नहीं वसूल सकते GST
डेढ़ करोड़ रुपये तक का कारोबार करने वाले छोटे व्यवसायों को कंपोजीशन योजना लेने का विकल्प है. उन्हें प्रत्येक तिमाही रिटर्न दाखिल करना होता है. लेकिन कंपोजीशन योजना अपनाने वाले कारोबारी ग्राहकों से GST नहीं वसूल सकते हैं. उन्हें अपने बिल अथवा चालान पर भी यह लिखना होगा कि वह कंपोजीशन योजना के तहत आते हैं, इसलिये माल की आपूर्ति अथवा दी गई सेवा पर जीएसटी लेने के हकदार नहीं है.
कंपोजीशन योजना के तहत आने वाले व्यापारियों, कारोबारियों और मैन्युफैक्चरर्स को अपने कुल कारोबार पर मात्र एक प्रतिशत की दर से जीएसटी का भुगतान करना होता है. जबकि कंपोजीशन योजना के तहत आने वाले रेस्टोरेंट को पांच प्रतिशत और सर्विस प्रोवाइडर्स को छह प्रतिशत की दर से जीएसटी भुगतान की सुविधा दी गई है. इस राशि को वह ग्राहकों से नहीं वसूल सकते हैं.
कितने की हुई कर चोरी विभाग कर रहा पता
एक अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें उपभोक्ताओं से ऐसी कई शिकायतें मिलीं हैं कि जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं करने वाली कई इकाइयां ग्राहकों से GST वसूल रहीं हैं. कुछ उपभोक्ताओं ने छोटे स्थानीय रेस्टोरेंट द्वारा जीएसटी वसूले जाने की शिकायत की है. जबकि ये रेस्टोरेंट कंपोजीशन योजना के तहत आते हैं.’’ अधिकारी ने कहा कि शिकायतों की संख्या काफी ज्यादा है. कर विभाग ऐसी प्रणाली पर काम कर रहा है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि कितने कर की चोरी हुई है. उसके बाद इन मामलों को फील्ड में काम करने वाले अधिकारियों के पास भेज दिया जाएगा.