Retail Inflation Rise: सांख्यिकी मंत्रालय आज यानी 15 अप्रैल को महंगाई के आंकड़े जारी करेगा. मार्च में Retail Inflation दर बढ़कर 3.8% से बढ़कर 4% हो सकती है. एक महीने पहले फरवरी में महंगाई दर 7 महीने के निचले स्तर 3.61% पर आ गई थी. वहीं, जनवरी 2025 में महंगाई दर 4.31% थी.

सब्जियों की कीमतों में मिला-जुला रुख है, जबकि सोने की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. यानी खाद्य महंगाई दर स्थिर रहने की उम्मीद है, लेकिन अन्य चीजों की महंगाई दर में थोड़ी बढ़ोतरी हो सकती है. महंगाई दर में खाद्य वस्तुओं का योगदान करीब 50% है.

फरवरी में खुदरा महंगाई (Retail Inflation) दर:

फरवरी में महंगाई दर 7 महीने के निचले स्तर 3.61% पर आ गई. महीने-दर-महीने आधार पर खाद्य महंगाई दर 5.97% से घटकर 3.75% पर आ गई. ग्रामीण मुद्रास्फीति 4.59% से घटकर 3.79% और शहरी 3.87% से घटकर 3.32% हो गई.

inflation कैसे बढ़ती और घटती है?

उत्पाद की मांग और आपूर्ति के आधार पर मुद्रास्फीति (inflation) बढ़ती और घटती है. अगर लोगों के पास ज़्यादा पैसा होगा, तो वे ज्यादा चीजें खरीदेंगे. ज़्यादा चीज़ें खरीदने से चीजों की मांग बढ़ेगी. अगर आपूर्ति मांग (Retail Inflation Rise) के मुताबिक नहीं होगी, तो इन चीज़ों की (Retail Inflation) कीमत बढ़ जाएगी.

इस तरह बाज़ार मुद्रास्फीति की चपेट में आ जाता है. सरल शब्दों में कहें तो बाज़ार में पैसे का ज़्यादा प्रवाह या चीज़ों की कमी मुद्रास्फीति का कारण बनती है. वहीं अगर मांग कम और आपूर्ति ज़्यादा है, तो मुद्रास्फीति कम होगी.

Inflation CPI से तय होती है

एक ग्राहक के तौर पर आप और मैं खुदरा बाज़ार से सामान खरीदते हैं. इससे जुड़ी कीमतों में होने वाले बदलाव को दिखाने का काम उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई करता है. सीपीआई वह औसत कीमत मापता है जो हम वस्तुओं और सेवाओं के लिए चुकाते हैं.

कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतें, मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट के अलावा कई अन्य चीजें हैं जो खुदरा महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका निभाती हैं. करीब 300 ऐसी चीजें हैं, जिनकी कीमतों (Retail Inflation Rise) के आधार पर खुदरा महंगाई दर (retail inflation rate) तय होती है.