परवेज आलम/वेस्ट चंपारण: खबर बगहा से है, जहां कर्नाटक के बेंगलुरु में रिटायर्ड DGP ओमप्रकाश गुप्ता की हुई हत्या के बाद उनके पैतृक आवास पर मातमी सन्नाटा पसरा है. दरअसल, पारिवारिक कलह और सम्पति विवाद में रविवार को पूर्व DGP ओमप्रकाश की चाकू मारकर निर्मम हत्या के बाद आज शव का पोस्टमार्टम करवाने के बाद बेंगलुरु में ही अंतिम संस्कार किया गया. सबों नें नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी.

पूर्व DGP की हत्या

बताया जा रहा है बिहार के बगहा स्थित पीपरासी थाना क्षेत्र के परसौनी से गंडक नदी के विस्थापन के बाद 1971 में ओमप्रकाश सपरिवार शास्त्रीनगर के इसी सुदामा कुटीर में रहते थे. नेत्रहाट से पढ़ाई के बाद वर्ष 1981 बैच के आईपीएस ओमप्रकाश को कर्नाटक कैडर मिला और अपनी मेहनत और सादगी के साथ वे पुलिस महकमे के शीर्ष पद कर्नाटक के DGP तक का सफर पूरा कर बेहतर कार्य के लिए जाने जायेंगे, लेकिन बेंगलुरु में रह रहे पूर्व DGP की हत्या ने आपसी रिश्तों को शर्मसार जरूर किया है.

किसी को नहीं हो रहा यकीन 

बताया जा रहा है कि बगहा के डॉ सुरेश यादव पूर्व DGP ओमप्रकाश के लंगोटिया यार मतलब बचपन के दोस्त हैं. इस घटना नें क्या आम क्या खास सबको झकझोर कर रख दिया है. किसी को यकीन नहीं हो रहा है की ओमप्रकाश के साथ भी ऐसा होगा. इधर बगहा के कोठी कंपाउंड निवासी और कर्नाटक हाईकोर्ट के वकील और अतुल सुभाष कांड के पक्षकार विनय कुमार सिंह से भी पूर्व DGP ओमप्रकाश के अच्छे रिश्ते थे. पारिवारिक तौर पर आना जाना लगा रहता था.

‘नेक दिल इंसान थे’

एडवोकेट विनय सिंह बताते हैं कि रिटायर्ड आईपीएस ओमप्रकाश न केवल बगहा बल्कि किसी भी बिहारी की खुलकर मदद करते थे. वे स्वभाव से बेहद ही संजिंदा और नेक दिल इंसान थे. पत्नी और परिवार वाले जिस तरह सम्पति और कलह में उनकी जान लें लिए यह सुनकर सभी सॉक्ड और सरप्राइज हैं. 

जांच में जुटी पुलिस

बता दें कि सोमवार को दिन में मृत पूर्व DGP ओमप्रकाश का अंतिम संस्कार बेंगलुरु में ही राजकीय सम्मान के साथ किया गया. दिल्ली से बेंगलुरु पहुंचने के बाद उनके अनुज श्रीप्रकाश गुप्ता ने यह जानकारी सांझा किया है. अब पुलिस इस घटना में साक्ष्य इकट्ठा कर सभी पहलुओं से पड़ताल में जुटी है. इस चर्चित आईपीएस हत्या कांड का जल्द खुलासा करने का दावा कर रही है. 

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