कुशीनगर. जमीनी विवाद को लेकर मारपीट की घटनाओं में बाढ़ सी आ गई है. जिसमें कहीं ना कहीं राजस्व कर्मियों की ही कमी सामने आ रही है. पीड़ित अक्सर आरोप लगाते हैं कि हल्का लेखपाल और राजस्व निरीक्षक नहीं चाहते हैं कि किसी मामले का निस्तारण हो, उच्च अधिकारियों के आदेश के बाद भी हल्का लेखपाल और राजस्व निरीक्षक मामले में हिला-हवाली करते देखे जा सकते हैं. जिसकी वजह से दोनों पक्षों में मारपीट और खून खराबे तक मामला पहुंच जाता है और वह जमीनी विवाद का मामला पुलिस केस बनकर मामला उलझ जाता है. इसके बाद पीड़ित थाना कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पर मजबूर रहते हैं.

मामला कप्तानगंज तहसील क्षेत्र के उरदहां का है. जहां जयप्रकाश राव पुत्र दरोगा राव द्वारा गाटा संख्या- 916 /0.036 हे. भूमि बैनामा लिया गया है. जिस पर गांव के ही कुन्दल पुत्र गेना द्वारा अवैध कब्जा कर लिया गया है. जिसको लेकर पीड़ित जयप्रकाश द्वारा उप जिलाधिकारी कप्तानगंज के न्यायालय में बेदखली का मामला दर्ज कराया गया, जिसमें उपजिलाधिकारी के न्यायालय द्वारा दोनों पक्ष को सुनने के बाद जयप्रकाश के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कुंन्दल को बेदखली का आदेश किया, जिसमें स्पष्ट रूप से आदेश में है कि कुंन्दल पुत्र गेना निवासी को बेदखल किया जाता है. प्रतिवादी को आदेशित किया जाता है कि आदेश की प्राप्ति होने की एक सप्ताह के अंदर अतिक्रमण हटा लें जिसमें तहसीलदार को निर्देशित किया गया कि यदि अवैध कब्जा धारक नियत अवधि के अंदर अवैध अतिक्रमण नहीं खाली किया जाता है तो अवैध कब्जा खाली करवाते हुए न्यायालय को अवगत काराए, लेकिन आदेश के वर्षों बाद भी तहसीलदार राजस्व निरीक्षक, हल्का लेखपाल द्वारा हिलावली किया जाता रहा और पीड़ित इनके दर पर दौड़ते-दौड़ते आदेश के अनुपालन का गुहार लगाता रहा, लेकिन इन जिम्मेदार राजस्व कर्मियों द्वारा केवल हिला हवाली किया जाता रहा.

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मामला वर्षों तक लंबित बना रहा, जिसके चलते विगत दिनों 14-10-23 को दोनों पक्षों में कहा-सुनी होते मामला मारपीट में बदल गया. इससे एक पक्ष द्वारा झोपड़ी जलाने और उजाड़ने मारने-पीटने का आरोप लगाया. थाने पर प्रार्थना पत्र देकर विभिन्न धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कराया है. जमीनी विवाद के मामलों में राजस्व कर्मियों द्वारा की जा रही हिला-हवाली के चलते इस तरह की घटनाएं आम हो गई है. मामला निस्तारण के बजाय पुलिस केस दर्ज होकर और उलझती जा रही हैं‌. सूबे के मुखिया के सख्त आदेश के बावजूद भी राजस्वकर्मी सुधारने का नाम नहीं ले रहे हैं. अगर इस मामले में समय रहते राजस्व कर्मियों द्वारा उच्च अधिकारियों के आदेश का अनुपालन किया गया होता तो दोनों पक्षों में इस तरह की मारपीट की घटनाएं नहीं हुई होती और मामला पुलिस थाने तक नहीं पहुंचता. अब देखना यह है कि उच्च अधिकारी इस पूरे मामले में किस तरह की कार्रवाई करते हैं या इसी तरह यह मामला लंबित पड़ खूनी संघर्षों तक पहुंचता रहता है.

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