रिम्स में असहाय और गरीब मरीजों के साथ अमानवीय व्यवहार की खबर अक्सर सामने आती रहती है. शुक्रवार की रात भी ऐसी ही एक घटना हुई. रात 8:30 बजे मानसिक रूप से बीमार व जख्मी युवक रिम्स में इलाज कराने के लिए घुसने की कोशिश कर रहा था. गार्ड ने उसकी मदद करने की बजाय उसे धक्के देकर बाहर निकाल दिया. उसके शरीर पर कई जख्म थे, जिससे मवाद निकल रहा था. बायें हाथ में स्लाइन चढ़ानेवाला जेलको लगा था. इससे प्रतीत हो रहा था कि उसका इलाज पहले से ही रिम्स में चल रहा था. बदन पर कपड़े के नाम पर रिम्स की ही चादर लिपटी हुई थी.
रांची. झारखंड के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स अस्पताल के बाहर लोगों के पूछने पर युवक ने अपना नाम बीनू बताया. कहा कि वह कांके का रहनेवाला है. इससे ज्यादा वह कुछ नहीं बता पाया. सड़क पर पड़े लाचार युवक को आते-जाते लोग दया भाव से देख तो रहे थे, लेकिन किसी ने गार्डों पर उसे अस्पताल में भर्ती कराने का दबाव नहीं बनाया.
इधर, रिम्स के मुख्य द्वारा पर तैनात गार्ड ने बताया कि विक्षिप्त मरीज चार महीने से अस्पताल परिसर में ही भटक रहा है. है. इसकी सूचना प्रबंधन को गुरुवार को ही को दी जा चुकी है. लेकिन प्रबंधन बेपरवाह रहा. 30 घंटे बाद भी किसी ने इस मरीज का इलाज करवाने या उसे रिनपास शिफ्ट करवाने की जहमत नहीं उठायी.
दूसरी तरफ, रिम्स के अधीक्षक विवेक कश्यप ने कहा कि सूचना मिली थी कि विक्षिप्त मरीज को भर्ती कराया गया है. शुक्रवार को वह विभाग में नहीं मिला. गार्ड को उसे अस्पताल में भर्ती करवा देना चाहिए था या प्रबंधन को इसकी सूचना देनी चाहिए थी. शनिवार को मरीज को खोजकर उसे रिनपास भेजने की प्रक्रिया शुरू की जायेगी.