Risk Factors in Stock Market: इन दिनों शेयर बाजार में करेक्शन का दौर चल रहा है. इसके बावजूद विशेषज्ञों का मानना है कि धीरे-धीरे बाजार से नकारात्मक खबरें दूर हो जाएंगी और बाजार फिर से अपनी रफ्तार पकड़ लेगा. भारतीय बाजार को लंबी अवधि में ग्रोथ वाला बाजार बताया जा रहा है.

पहला जोखिम

उन्होंने कहा कि निवेशक इस समय भारतीय बाजारों के मूल्यांकन के साथ-साथ वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं को लेकर चिंतित हैं.

यदि निवेशकों को लगता है कि चुनाव के बाद हमें नीतिगत अनिश्चितता देखने को मिल सकती है, तो यह तेजी की रैली पटरी से उतर सकती है.

दूसरा जोखिम

इस रैली के लिए एक और जोखिम एक तरफ पश्चिम और दूसरी तरफ चीन/रूस या मध्य-पूर्व के बीच बढ़ता भू-राजनीतिक तनाव है, जिससे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं और इस तरह रुपये पर दबाव पड़ सकता है.

तीसरा जोखिम

अमेरिका और यूरोप में लगातार बढ़ती महंगाई के कारण निवेशकों को उच्च जोखिम-मुक्त दरों की उम्मीद है. भारत समेत वैश्विक शेयर बाजारों की रेटिंग भी घट सकती है.

म्यूचुअल फंड मुनाफावसूली

विशेषज्ञों का कहना है कि एमएफ हाउस मुनाफावसूली नहीं कर रहे हैं या नकदी का स्तर नहीं बढ़ा रहे हैं. हो सकता है कि वे अपने पोर्टफोलियो को अधिक बड़े कैप की ओर फिर से केंद्रित कर रहे हों, जहां कुछ मिड- और स्मॉल-कैप शेयरों की तुलना में मूल्यांकन अभी भी उचित है.